SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तम उद्देशक नीललेश्या वाले भवसिद्धिक नारकों की प्ररूपणा अष्टम उद्देशक चतुर्विध क्षद्वयुग्म कापोतलेश्यी भवसिद्धिक नैरयिकों की उपपात-प्ररूपणा नवम से बारह उद्देशक अभव्य नरयिकों सम्बन्धी वक्तव्यता तेरह से सोलह उद्देशक लेश्यायुक्त सम्यग्दष्टि नारकों को वक्तव्यता सत्तरह से बीस उद्देशक मिथ्यादृष्टि नारक सम्बन्धी चार उद्देशक इक्कीस से चौवीस उद्देशक कृष्णपाक्षिक नारक सम्बन्धी पच्चीस से अट्ठाईस उद्देशक शुक्लपाक्षिक नरयिकों सम्बन्धी कथन 622 623 624 बत्तीसवाँ शतक प्रथम उद्देशक नारकों की उद्वर्तना दूसरे से अट्ठाईस उद्देशक चतुर्विध क्षुद्रयुग्म कृष्णलेश्यी नरयिकों की उद्वर्तना सम्बन्धी प्ररूपणा तेतीसवां प्रथम एकेन्द्रिय शतक प्राथमिक प्रथम उद्देशक एकेन्द्रिय जीवों के भेद-प्रभेद एकेन्द्रिय जीवों की कर्मप्रकृतियाँ, उनका बन्ध्र और वेदन द्वितीय उद्देशक अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रिय के भेद-प्रभेद, उनमें कर्म प्रकृतियाँ, उनके बन्ध और वेदन का निरूपण तृतीय उद्देशक परम्परोपपन्नक एकेन्द्रिय जीवों के भेद-प्रभेद, उनमें कर्मप्रकृतियाँ, उनका बन्ध और वेदन N 635 [ 120 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy