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________________ चतुर्थ उद्देशक चार युग्म और उनके अस्तित्व का कारण 326, चौवीस दण्डकों और सिद्धों में युग्मभेद निरूपण 326, षद्रव्य और उनमें द्रव्यार्थ तथा प्रदेशार्थ रूप से युग्मभेद निरूपण 328, धर्मास्तिकायादि षद्रव्यों में अल्प-बहुत्व का प्रज्ञापनासूत्रातिदेशपूर्वक निरूपण 329, धर्मास्तिकायादि में यथायोग्य अवगाढ-अनवगाढ प्ररूपणा 329, जीव एवं चौवीस दण्डकों में एकत्व-बहत्व की अपेक्षा द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ रूप यूग्मभेद निरूपण 331, सामान्य जीव एवं चोवीस दण्डकों में अवगाहनापेक्षया कृतयुग्मादि प्ररूपणा 333, जीव एवं चौवीस दण्डकों में कृतयुग्मादि समयस्थिति की प्ररूपणा 334, सामान्य जीव एवं चौवीस दण्डकों में वर्णादि पर्यायापेक्षया कृतयुग्मादि प्ररूपणा 336, जीव, चौवीस दण्डकों और सिद्धों में ज्ञान-प्रज्ञान-दर्शन पर्यायों की अपेक्षा एकत्व-बहत्व दृष्टि से कृतयुग्मादि प्ररूपणा 337, प्रज्ञापनासूत्र के अतिदेशपूर्वक शरीर सम्बन्धी विवरण 332, जीव तथा चौवीस दण्डकों में सकम्प-निष्कम्प तथा देशकम्प-सर्व कम्प प्ररूपणा 340, परमाण-पूदगलों से अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक की प्ररूपणा 342, एक प्रदेशावगाह से असंख्येय प्रदेशावगाढ पुदगलों की प्ररूपणा 342, एक समय से लेकर असंख्यात समय की स्थिति वाले पुदगलों की अनन्तता 342, वर्णगन्धादि वाले पुदगलों की अनन्तता 343, परमाणु-पुद्गल से अनन्त प्रदेशी स्कन्धों तक की द्रध्य-प्रदेशार्थ से यथायोग्य बहत्व प्ररूपणा 343, एक गुण काले आदि वर्ण तथा गन्ध-रस-स्पर्श वाले पुद्गलों की वक्तव्यता 346, एकादिगुण कर्कश स्पर्श वाले पुद्गलों की द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ से विशेषाधिकतादि प्ररूपणा 347, एक-संख्येय-असंख्येय-प्रदेशी पूदगलों की अवगाहना एवं स्थिति को लेकर अल्पवहत्व चर्चा 348, एक-संख्येय-असंख्येय-अनन्तगण-वर्णनान्धादि वाले पूदगलों की द्रव्याथ प्रदेशार्थ रूप से प्रत्पबहत्व चर्चा 350, अवगाहना, स्थिति, वर्णगन्धादि पर्यायों की अपेक्षा कृतयुग्मादि प्ररूपणा 354, परमाणु से लेकर अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक यथायोग्य-सार्द्ध-अनर्द्ध प्ररूपणा 358, परमाण से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक सकम्पता निष्कम्पता-प्ररूपणा 360, परमाण से अनन्तप्रदेशी सकम्प-निष्कम्प स्कन्ध तक के अल्पबहुत्व की चर्चा 364, परमाण से अनन्तप्रदेशी सकम्प-निष्कम्प स्कन्धों की द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ द्रव्यप्रदेशार्थ से अल्पबहत्व को चर्चा 364, परमाण से अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक देशकम्प-सर्वकम्प-निष्कम्पता की प्ररूपणा 366, परमाणु से अनन्तप्रदेशी देशकम्प-सर्वकम्प-निष्कम्प स्कन्धों की स्थिति एवं कालान्तर की प्ररूपणा 367, सर्व-देश कम्पक. निष्कम्पक परमाणु से अनन्तप्रदेशी स्कन्धों का अल्पबहुत्व 371, सर्व-देश-निष्कम्प परमाणुनों से अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक के अल्पबहुत्व की चर्चा 372, धर्मास्तिकायादि के मध्यप्रदेशों की संख्या का निरूपण 374, जीवास्तिकाय-मध्यप्रदेश तथा आकाशास्तिकाय प्रदेशों की अवगाहना की प्ररूपणा 375 // पंचम उद्देशक पर्यव-भेद एवं उसके विशिष्ट पहलनों के विषय में पर्यवपद : अतिदेश 376, मानप्राणादि कालों में एकत्व-बहत्व की अपेक्षा से प्रावलिका : संख्या-प्ररूपणा 378, स्तोकादि कालों में एकत्व-बहत्व दृष्टि से पानप्राणादि से शीर्षप्रहेलिका पर्यन्त संख्या निरूपण 380, सागरोपमादि कालों में एकत्व-बहुत्व की अपेक्षा से पल्योपम-संख्या निरूपण 381, उत्सर्पिणी प्रादि कालों में एकत्व-बहत्व की अपेक्षा से सागरोपम-संख्या निरूपण 382, पुद्गल परिवर्तनादि कालों में एकत्व-बहुत्व दृष्टि से अवसर्पिणी-उत्सपिणी काल की संख्या की प्ररूपणा 382, भूत-भविष्यत् तथा सर्वकाल में पुदगल परिवर्तन की अनन्तता 383, अनागत काल की अतीतकाल से समयाधिकता 383, सर्वाद्धा का प्रतीत तथा अनागत काल के समय से न्यूनाधिकता 384, निगोद के भेद-प्रभेदों का निरूपण 385, मौदपिकादि छह भावों का अतिदेशपूर्वक प्ररूपण 386 / [ 114 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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