________________ [व्याख्याप्रशप्तिसूत्र [11 प्र.] भगवन् ! क्या नै रयिक अल्पासव, महाक्रिया, अल्पवेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? [11 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / 12. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा महाकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ? णो इण8 सम8 12 / [12 प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक अल्पासव, महा क्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले होते हैं ? [12 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / 13. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा? नो इण8 समदृ 13 / [13 प्र.] भगवन् ! क्या नैरपिक अल्पास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? [13 उ.] यह अर्थ समर्थ नहीं है / 14. सिय भंते ! नेरतिया अप्पस्सवा अप्पकिरिया महावेदणा अप्पनिज्जरा ? नो इण8 सम8 14 / [14 प्र. भगवन् ! क्या नैरयिक अल्पास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? [14 उ.] यह अर्थ समर्थ नहीं है / 15. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा अप्पकिरिया अप्पवेदणा महानिज्जरा? नो इण8 सम? 15 // [15 प्र.) भगवन् ! नैरयिक अल्पास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और महानिर्जरा वाले होते हैं [15 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। 16. सिय भंते ! नेरतिया अस्पस्सवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा? णो इण? सम8 16 / एते सोलस भंगा। [16 प्र.] भगवन् ! नै रयिक कदाचित् अल्पासव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? [16 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / ये सोलह भंग (विकल्प) हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org