________________ उन्नीसवां शतक : उद्देशक 4] [775 __ [5 प्र.] भगवन् ! क्या नै रयिक महास्रव, अल्पक्रिया, महावेदना और महानिर्जरा वाले होते हैं tho [5 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / 6. सिय भंते ! नेरइया महस्सवा अप्पकिरिया महावेदणा अप्पनिज्जरा ? नो इण? सम? 6 / [6 प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक महासव, अल्पक्रिया, महावेदना तथा अल्पनिर्जरा वाले होते हैं ? [6 उ.] यह अर्थ भी समर्थ नहीं है / 7. सिय भंते ! नेरतिया महत्सवा अप्पकिरिया अप्पवेदणा महानिज्जरा ? नो इण8 सम8७। [7 प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक महास्रव अल्पक्रिया, अल्पवेदना एवं महानिर्जरा वाले होते [7 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / 8. सिय भंते ! नेरतिया महस्सवा अप्पकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ? नो इण8 सम8८। [8 प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक महास्रव, अल्पक्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले होते हैं ? [8 उ.] यह अर्थ भी समर्थ नहीं है / 9. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा महाकिरिया महावेदणा महानिज्जरा ? नो इण8 सम8९। [6 प्र.] भगवन् ! क्या नै रयिक अल्पास्रव, महाक्रिया, महावेदना और महानिर्जरा वाले हैं [6 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / 10. सिय भंते ! नेरइया अप्पस्सवा महाकिरिया महावेदणा अप्पनिज्जरा? नो इगट्ठ सम8 10 // [10 प्र.] भगवन् ! क्या नैरयिक अल्पासव, महाक्रिया, महावेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं {10 उ.] यह अर्थ भी समर्थ नहीं है। 11. सिय भंते ! नेरइया अप्परसवा महाकिरिया अप्पवेपणा महानिज्जरा ? नो इण8 सम8 11 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org