________________ अठारहवां शतक : उद्देशक 10] [741 प्रश्नोत्तर-इस प्रकरण में भावितात्मा अनगार के वैक्रियल ब्धि सामर्थ्य से सम्बद्ध निम्नोक्त प्रश्नोत्तर हैं प्रश्न उत्तर हाँ। नहीं। नहीं जलता। 1. तलवार या उस्तरे की धार पर रह सकता है ? 2. क्या वह वहाँ छिन्न भिन्न होता है ? 3. क्या वह अग्निशिखा में से निकल सकता है ? 4. अग्निशिखा से निकलता हुआ जल जाता है ? 5. पुष्कर-संवर्त मेष के बीच में से निकल सकता है ? 6. इसके बीच में से निकलते हुए क्या वह भीग जाता है ? 7. गंगा-सिंधू नदियों के प्रतिस्रोत (उल्टे प्रवाह) में से होकर निकल सकता है? 8. उदकावर्त (पानी के भंवरजाल) में या उदकबिन्दु में प्रवेश कर सकता है ? 6. प्रतिस्रोत में से निकलता हुआ क्या वह स्खलित होता है ? 10. प्रवेश करते हुए क्या उसे जल का शस्त्र लगता है, यानी वह भीग जाता है ? नहीं भीगता। नहीं। नहीं।' परमाणु, द्विप्रदेशी आदि स्कन्ध तथा वस्ति का वायुकाय से परस्पर स्पर्शास्पर्श निरूपण 4. परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे, वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे ? गोयमा ! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे / [4 प्र.] भगवन् ! परमाणु-पुद्गल, वायुकाय से स्पृष्ट (व्याप्त) है, अथवा वायुकाय परमाणु-पुद्गल से स्पृष्ट है ? [4 उ.] गौतम ! परमाणु पुद्गल वायुकाय से स्पृष्ट है, किन्तु वायुकाय परमाणु-पुद्गल से स्पृष्ट नहीं है। 5. दुपएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाएणं० ? एवं चेव। [5 प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशिक-स्कन्ध वायुकाय से स्पृष्ट है या वायुकाय द्विप्रदेशिक-स्कन्ध से स्पृष्ट है ? [5 उ.] गौतम ! इसी प्रकार (पूर्ववत् जानना चाहिए / ) 6. एवं जाव असंखेज्जपएसिए। [6] इसी प्रकार यावत् असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिए। 1. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 757 (ख) भगवती. उपक्रम पृ. 392 . (ग) भगवती सूत्र के थोकड़े छठा भाग. पृ. 37, थोकड़ा नं. 143 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org