________________ सोलहवां शतक : उद्देशक 2] [545 [14 प्र.] भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र क्या सत्य भाषा बोलता है, मृषा भाषा बोलता है, . सत्यामृषा भाषा बोलता है, अथवा असत्यामृषा भाषा बोलता है ? [14 उ.] गौतम! वह सत्य भाषा भी बोलता है, यावत् असत्यामृषा भाषा भी बोलता है। 15. [1] सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सावज्जं भासं भासति, अणवज भासं भासति? गोयमा ! सावजं पि भासं भासति, प्रणवज्ज पि भासं भासति / [15-1 प्र.] भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक क्या सावद्य (पापयुक्त) भाषा बोलता है या निरवद्य भाषा बोलता है ? [15-1 उ.] गौतम ! वह सावध भाषा भी बोलता है और निरवद्य भाषा भी बोलता है। [2] से केणट्टणं भंते ! एवं कुच्चइ-सावज्ज पि जाव अणवज्ज पि भासं भासति ? गोयमा ! जाहे णं सक्के देविदे देवराया सुहमकायं अनिज्जूहित्ताणं भासं भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया सावज भासं भासति, जाहे णं सक्के देविदे देवराया सुहमकायं निजहिताणं भासं भासइ ताहे सक्के देविदे देवराया अणवज्ज भासं भासति, से तेण?णं जाव भासति / [15-2 प्र.] भगवन् ! ऐसा क्यों कहा गया है कि शक्रेन्द्र सावध भाषा भी बोलता है और निरवद्य भाषा भी बोलता है ? [15-2 उ.] गोतम ! जब देवेन्द्र देवराज शक्र सूक्ष्म काय (अर्थात् हाथ आदि या वस्त्र) से मुख ढंके बिना बोलता है, तब वह सावध भाषा बोलता है और जब वह हाथ या वस्त्र से मुख को ढक कर बोलता है, तब वह निरवद्य भाषा बोलता है। इसी कारण से यह कहा जाता है कि शवेन्द्र सावध भाषा भी बोलता है और निरवद्य भाषा भी बोलता है / 16. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि भवसिद्धीए, अभवसिद्धीए, सम्मदिट्ठीए? एवं जहा मोउद्दसए सणंकुमारो (स० 3 उ० 1 सु० 62) जाव नो प्रचरिमे। [16 प्र.] भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र भवसिद्धिक है या अभवसिद्धिक ? सम्यग्दृष्टि है या मिथ्यादृष्टि ? इत्यादि प्रश्न / [16 उ.] गौतम ! तृतीय शतक के प्रथम मोका उद्देशक (सू. 62) में उक्त सनत्कुमार के अनुसार यहाँ भी यावत् अचरम नहीं है, (यहाँ तक जानना चाहिए।) विवेचन-प्रस्तुत पांच सूत्रों (सू. 12 से 16 तक) में शकेन्द्र के सम्बन्ध में गौतमस्वामी द्वारा किये गये निम्नोक्त प्रश्नों का समाधान अंकित है / [प्र. 1] अवग्रह सम्बन्धी वक्तव्य सत्य है ? [उ.] सत्य है / [प्र. 2J शकेन्द्र सम्यग्वादी है या मिथ्यावादी ? [उ.] सम्यग्वादी है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org