________________ चौदहवां शतक : उद्देशक 7] [409 अनुत्तरौपपातिक का शब्दशः अर्थ-जिनका उपपातजन्म अनुत्तरी शब्दादि विषयों का योग होने से अनुत्तर–सर्वप्रधान-होता है, वे अनुत्तरौपपातिक कहलाते हैं।' ___अनुत्तरौपातिक देवत्वप्राप्ति की योग्यता--कोई श्रमण निर्ग्रन्थ सुसाधु षष्ठभक्त तप से जितने कर्मों की निर्जरा करता है, उतने कर्म अवशिष्ट रहने पर उस साधु को अनुत्तरोपपातिक देवत्व को प्राप्ति होती है। ॥चौदहवां शतक : सप्तम उद्देशक समाप्त // 1. अनुत्तर:-सर्वप्रधानोऽनुत्तरदादिविषययोगात उपपातो-जन्म अनुत्तरोपपातः, मोऽस्ति येषां तेऽनुत्तरोप पातिकाः। ---भगवती. अ. वत्ति, पत्र 651 2. वही, अ. वृति, पत्र 651 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org