________________ चौदहवां शतक : उद्देशक 2] [371 चतुर्विध देवकृत तमस्काय के चार कारण--तमस्काय का अर्थ है—अन्धकार-समूह | उसे करने के चार कारण ये हैं--(१) क्रीड़ा एवं रति के निमित्त (2) विरोधी को विमूढ़ बनाने के लिए (3) गोपनीय द्रव्यरक्षार्थ और (4) स्वशरीर-प्रच्छादनार्थ / ' कठिनशब्दार्थ-तमक्कायं-तमस्काय-अन्धकार समूह। किड्डारतिपत्तियं-क्रीड़ा और रति (भोगविलास) के निमित्त / गुत्तिसारक्खणहेउं---गुप्त निधि की सुरक्षा के लिए / // चौदहवां शतक : द्वितीय उद्देशक समाप्त / 1. (क) भगवतीसूत्र (हिन्दीविवेचन) भा. 5, पृ. 2295 (ख) भगवती. अ. वति, पत्र 636 2. वही, पत्र 636 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org