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________________ तेरहवां शतक : उद्देशक 7] [331 18. एवं एक्केक्के पुच्छा / जीवे वि काये, अजीवे वि काए / [18 प्र. | इसी प्रकार (भाषा की तरह यहाँ भी) क्रमश: एक-एक प्रश्न करना चाहिए। (उनके उत्तर इस प्रकार से है-) [18 उ.] काय जीवरूप भी है और अजीवरूप भी / जीव-अजीव दोनों कायरूप 19. जीवाण वि काये, अजीवाण वि काए / [19] काय जीवों के भी होता है, अजीवों के भी। त्रिविध जीवस्वरूप को लेकर कायनिरूपण-कायभेदनिरूपण 20. पुन्वि भंते ! काये ? पुच्छा। गोयमा ! पुब्धि पि काए, कायिज्जमाणे वि काए, कायसमयवोतिक्कते वि काये। . 20 प्र. भगवन् ! (जीव का सम्बन्ध होने से) पूर्व काया होती है, (अथवा कायिकपुद्गलों के चीयमान (ग्रहण) होते समय काया होती है या काया-समय (कायिकपुद्गलों के ग्रहण का समय) बीत जाने पर भी काया होती है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् / 20 उ.] गौतम ! (जोव का सम्बन्ध होने से) पूर्व भी काया होती है, चीयमान (कायिक पुदगलों के ग्रहण) होते समय भी काया होती है और काया-समय (कायिक पुद्गल ग्रहण का समय) बीत जाने पर भी काया होती है। 21. पुचि भंते / काये भिज्जइ ? * पुच्छा। गोयमा ! पुदिव पि काए भिज्जइ जाव कायसमयवीतिक्कते वि काये भिज्जति / [21 प्र.] भगवन् ! (क्या जीव के द्वारा कायरूप से ग्रहण करने के समय से ) पूर्व भी काया का भेदन होता है ? (अथवा कायारूप से पुद्गलों का ग्रहण करते समय काया का भेदन होता है ? या काया-समय बीत जाने पर काया का भेदन होता है ? इत्यादि पूर्ववत प्रश्न / [21 उ.] गौतम ! (जीव के द्वारा कायरूप से ग्रहण करने के समय से पूर्व भी काया का भेदन होता है, जीव के द्वारा काया के पुद्गलों का ग्रहण (चय) होते समय भी काया का भेदन होता है और काय-समय बीत जाने पर भी काय का भेदन होता है। काया के सात भेद 22. कतिविधे णं भंते ! काये पन्नते? गोयमा! सत्तविधे काये पन्नत्ते, तं जहा-पोरालिए ओरालियमोसए वेउविए वेउब्धियमोसए पाहारए आहारयमीसए कम्मए। [22 प्र. | भगवन् ! काय कितने प्रकार का कहा गया है ? [22 उ.] गौतम ! काय सात प्रकार का कहा गया है / यथा-( 1 ) प्रौदारिक, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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