________________ 216] [प्याल्याप्रज्ञप्तिसूत्र धर्मदेव का जघन्य संचिटणाकाल—कोई धर्मदेव, अशुभभाव को प्राप्त करके, उससे निवृत्त होकर शभभाव को प्राप्त होने के एक समय बाद मत्य को प्राप्त हो जाता है। इसलिए धर्मदेव का जघन्य संचिटणा (संस्थिति) काल परिणामों की अपेक्षा से एक समय का कहा गया है / ' पंचविध देवों के अन्तरकाल की प्ररूपणा 27. भवियदव्वदेवस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ? . गोयना! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तमाम हियाई, उक्कोसेणं अणतं कालंवणसतिकालो। [27 प्र.] भगवन् ! भव्यद्रव्यदेव का अन्तर कितने काल का होता है ? [27 प्र. गौतम ! (भव्यद्रव्यदेव का अन्तर) जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष तक और उत्कृष्ट अनन्तकाल-वनस्पतिकाल पर्यन्त होता है / 28. नरदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं सातिरेगं सागरोधर्म, उक्कोसेणं अणंतं कालं अवड पोग्गलपरियट्ट वेसूर्ण / [28 प्र. भगवन् ! नरदेवों का कितने काल का अन्तर होता है ? |28 उ.] गौतम ! (नरदेव का अन्तर) जघन्य सागरोपम से कुछ अधिक और उत्कृष्ट अनन्तकाल, देशोन अपार्द्ध पुद्गल-परावर्त-काल पर्यन्त होता है / 29. धम्मदेवस्स णं० पुच्छा। गोयमा! जहनेणं पलिओवमपुहत्तं, उक्कोसेणं अगंतं कालं जाव प्रवड्पोग्गलपरियट्ट देसूणं / [26 प्र.] भगवन् ! धर्मदेव का अन्तर कितने काल तक का होता है ? 26 उ.] गौतम ! (धर्मदेव का अन्तर) जघन्यपल्योपम-पृथक्त्व (दो से नौ पल्योपम) तक और उत्कृष्ट अनन्तकाल यावत् देशोन अपार्द्ध पुद्गल परावर्त तक होता है। 30. देवाहिदेवाणं पुच्छा ? गोयमा! नत्थि अंतरं / |30 प्र.] भगवन् ! देवाधिदेवों का अन्तर कितने काल का होता है ? [30 उ. गौतम ! देवाधिदेवों का अन्तर नहीं होता। 31. भावदेवस्स गं० पुच्छा। गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेमं प्रणतं कालं-वणस्सतिकालो। [31 प्र. भगवन् ! भावदेव का अन्तर कितने काल का होता है ? [31 उ.] गौतम ! (भावदेव का अन्तर) जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल--- वनस्पतिकाल पर्यन्त अन्तर होता है। 1. (क) भगवतो. अ. वृत्ति, पत्र 586 (ख) भगवती० (हिन्दी विवेचन) भा. 4 पृ. 2101 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org