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________________ 152] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र कमेणं एक्केको पूरेयब्बो जाव अहवा एगयओ दसपएसिए०, एगयो नव संखेज्जपएसिया० भवंति; अहवा दस संखेज्जपएसिया खंधा भवंति / संखेज्जहा कज्जमाणे संखेन्जा परमाणुपोग्गला भवति / [11] भगवन् ! संख्यात परमाणु-पुद्गलों के संयुक्त होने पर क्या बनता है / [11 उ.] गौतम ! वह संख्यातप्रदेशी स्कन्ध बनता है / यदि उसके विभाग किये जाएँ तो दो तीन यावत् दस और संख्यात विभाग होते हैं। दो विभाग किये जाने पर—एक मोर एक परमाणुपुद्गल और एक ओर एक संख्येयप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा एक अोर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। इसी प्रकार यावत् एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं / तीन विभाग किये जाने पर एक ओर दो पृथक-पृथक् परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशीस्कन्ध और एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा एक अोर एक परमाण पदगल. एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक मोर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। इस प्रकार यावत्- अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात प्रदेशीस्कन्ध होता है / अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और एक ओर दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं / अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं / इस प्रकार यावत्---अथवा एक अोर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक अोर दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं / अथवा तीन संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। जब उसके चार विभाग किये जाते हैं तो एक अोर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा एक अोर पृथक-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल, एक योर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा एक ओर पृथकपृथक दो परमाणु-पुदगल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध्र और एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है / इस प्रकार यावत्-अथवा एक अोर दो पृथक-पृथक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक अोर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है / अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा एक ओर एक परमाणुपुद्गल, एक ओर एक द्वि-प्रदेशी स्कन्ध और एक मोर दो संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं / यावत्-- अथवा एक अोर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक अोर दो संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा एक अोर एक परमाण-पूदगल और एक और तीन संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं / इस प्रकार यावत्-एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध होता है और एक ओर तीन संख्यात प्रदेशी स्कन्ध होते हैं / अथवा चारों संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। इसी प्रकार इस क्रम से पंचसंयोगी विकल्प भी कहने चाहिए, यावत् नव-संयोगी विकल्प तक कहना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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