________________ बारहवां शतक : उद्देशक 4] [151 इस प्रकार दशप्रदेशी स्कन्ध्र के विभाग किये जाने पर कुल 5+7+8+7+5+3+2+ 1+1 = 36 विकल्प हुए। द्विप्रदेशीस्कन्ध से लेकर दशप्रदेशी स्कन्ध तक के विभागीय विकल्प कुल 125 इस प्रकार होते हैं-१+२+४+६+१०+१४+२१+२+३९ - 125 / इसमें जो दो जगह कोष्ठक के अन्तर्गत तीन विकल्प--२-३-५ / 2-2-6 एवं 1-2-2-5 हैं, वे शून्यभंग हैं, उन्हें यहाँ नहीं गिना गया है।' संख्यात परमाणु पुदगलों के संयोग-विभाग से निष्पन्न भंग निरूपण 11. संखेज्जा भंते ! परमाणपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहणित्ता किं भवति ? गोयमा! संखेज्जपएसिए संखे भवति / से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि संखेज्जहा वि कज्जति / दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेन्जपएसिए खंध भवति, एवं अहवा एगयओ तिपएसिए०, एगयओ संखेज्जपएसिए खघे भवति, जाव अहवा एगयतो दसपएसिए खंध, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति / तिहा कज्जमाणे एगयतो दो परमाणुपो०. एगयतो संखेज्जपएसिए खंध भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दुपएसिए खंध, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो तिपएसिए खंध एगयतो संखेज्जपएसिए खंध भवति; एवं जाव अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो सपएसिए खंध, एगयतो संखेज्जपएसिए खंध भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयतो दुपएसिए खंध, एगयतो दो संखेज्जपदेसिया खंधा भवंति; एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा तिष्णि संखेज्जपएसिया खंधा भवति / चउहा कज्जमाणे एगयतो तिनि परमाणुपो०, एगयो संखेज्जपएसिए खंध भवति; अहवा एगयतो दो परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयतो संखेज्जपएसिए खंध भवति ; अहया एगयतो दो परमाणुपो०, एगयतो तिपएसिए०, एगयतो संखेज्जपएसिए खंधे भवति; एवं जाव अहवा एगयओ दो परमाणुपो०, एगयतो दसपएसिए०, एगयतो संखेज्जपएसिए० भवति; अहवा एगयतो दो परमाणुपो०, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयनो बुपएसिए खंध, एगयो दो संखेज्जपदेसिया खंधा भवंति; जाव अहवा एगयतो परमाणुपो०; एगयतो दसपएसिए०, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंसि; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो तिन्नि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; जाव अहवा एगयओ दुपएसिए०, एगयतो तिन्नि संखेज्जपएसिया० भवंति; जाव अहवा एगयओ दसपएसिए०, एगयओ तिन्नि संखेज्जपदेसिया० भवंति; अहवा चत्तारि संखेज्जपएसिया० भवति / एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगो वि भाणियचो जाव नवसंजोगो / दसहा कज्जमाणे एगयतो नव परमाणुपोमाला, एमयतो संखेज्जपएसिए० भवति; अहवा एगयओ अट्ठ परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; एवं एएणं 1. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 566 (ख) भगवती. (हिन्दीविवेचन) भा. 4, पृ. 2019 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org