________________ दसमं सयं : दशम शतक संग्रहणी-गाथार्थ दशम शतक के चौतीस उद्देशकों को संग्रहगाथा-- 1. दिस 1 संवुडअणगारे 2 अाइड्ढी 3 सामहत्थि 4 देवि 5 सभा 6 / उत्तर अंतरदोवा 7-34 दसमम्मि सम्मि चोत्तीसा // 1 // [1] दसवें शतक के चौतीस उद्देशक इस प्रकार हैं --- (1) दिशा, (2) संवृत अनगार, (3) प्रात्मऋद्धि, (4) श्यामहस्ती, (5) देवी, (6) सभा और (7 से 34 तक) उत्तरवर्ती अन्तर्वीप / विवेचन- दशम शतक के चोंतीस उद्देशक-प्रस्तुत सूत्र (2) में दसवें शतक के चौतीस उद्देशकों का नामोल्लेख किया गया है। उनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है--(१) प्रथम उद्देशक में दिशात्रों के सम्बन्ध में निरूपण है / (2) द्वितीय उद्देशक में संवत अनगार आदि के विषय में निरूपण है। (3) तृतीय उद्देशक में देवावासों को उल्लंघन करने में देवों की आत्मऋद्धि (स्वशक्ति) का निरूपण है / (4) चतुर्थ उद्देशक में श्रमण भगवान महावीर के 'श्यामहस्ती' नामक शिष्य के प्रश्नों से सम्बन्धित कथन है। (5) पंचम उद्देशक में चमरेन्द्र आदि इन्द्रों की देवियों (अग्रमहिपियों) के सम्बन्ध में निरूपण है। (6) छठे उद्देशक में देवों की सुधर्मा सभा के विषय में प्रतिपादन है और 7 वें से 34 वें उद्देशक में उत्तरदिशा के 28 अन्तर्वीपों के विषय में 28 उद्देशक हैं। OD 1. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 492 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org