________________ जिनागम-प्रन्थमाला : प्रन्या-८ [परमश्रद्धय गुरुदेव पूज्य श्री जोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित पंचम गणधर भगवत्सुधर्म-स्वामि-प्रणीत चतुर्थ अंग समवायांगसूत्र [मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन, परिशिष्ट युक्त] प्रेरणा (स्व.) उपप्रवर्तक शासनसेवी स्वामी श्री ब्रजलालजी महाराज प्राद्य संयोजक तथा प्रधान सम्पादक श्री स्था. जैन श्रमणसंघ के युवाचार्य (स्व०) युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' अनुवादक-विवेचक-सम्पादक पं. हीरालालजी शास्त्री प्रकाशक श्री आगमप्रकाशन समिति, न्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org