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________________ षष्ठ स्थान ] २७–जंबुद्दोवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु प्रागमेस्साए उस्सप्पिणीए सुसम-सुसमाए समाए (मणुया छ धणुसहस्साई उड्ढमुच्चत्तेणं भविस्संति), छच्च अद्धपलिनोवमाई परमाउं पालइस्संति / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में भरत-ऐरवत क्षेत्र की आगामी उत्सर्पिणी के सुषम-सुषमा काल में मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष होगी और वे छह अर्धपल्योपम (तीन पल्लोपम) उत्कृष्ट आयु का पालन करेंगे (27) / २८-जंबुद्दीवे दीवे देवकुरु-उत्तरकुरुकुरासु मणुया छ धणुस्सहस्साई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता, छच्च अद्धपलिनोवमाई परमाउं पालेति / जम्बूद्वीप नामक द्वीप में देवकुरु और उत्तरकुरु के मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष की कही गई है और वे छह अर्धपल्योपम उत्कृष्ट आयु का पालन करते हैं (28) / २६–एवं धायइसंडदीवपुरथिमद्ध चत्तारि अालावगा जाव पुक्खरवरदोवड्ढपच्चस्थिमद्ध चत्तारि पालावगा। इसी प्रकार धातकीपण्ड द्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध, तथा अर्धपुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष और उत्कृष्ट आयु छह अर्धपल्योपम की जम्बूद्वीप के चारों पालापकों के समान जानना चाहिए (26) / संहनन-सूत्र ३०-छविहे संघयणे पण्णत्ते, तं जहा–वइरोसभ-णाराय-संघयणे, उसभ-णाराय संघयणे णाराय-संघयणे, अद्धणाराय-संघयणे, खोलिया-संघयणे, छेवट्टसंघयणे / संहनन छह प्रकार का कहा गया है। जैसे-- 1. वज्रर्षभनाराचसंहनन—जिस शरीर में हड्डियां, वज्रकीलिका, परिवेष्टनपट्ट और उभयपाश्वे मकंटबन्ध से युक्त हों। 2. ऋषभनाराचसंहनन—जिस शरीर की हड्डियां वज्रकीलिका के विना शेष दो से युक्त हों। 3. नाराचसंहनन-जिस शरीर की हड्डियां दोनों ओर से केवल मर्कटबन्ध युक्त हों। 4. अर्धनाराचसंहनन—जिस शरीर की हड्डियां एक ओर मर्कट बन्धवाली और दूसरी ओर कीलिका बाली हों। 5. कीलिकासंहनन—जिस शरीर की हड्डियां केवल कीलिका से कीलित हों। 6. सेवार्तसंहनन-जिस शरीर की हड्डियां परस्पर मिली हों (30) / संस्थान-सूत्र ३१-छन्विहे संठाणे पण्णते, तं जहा-समचउरसे, गग्गोहपरिमंडले, साई, खुज्जे, वामणे, हुंडे / संस्थान छह प्रकार का कहा गया है / जैसे१. समचतुरस्रसंस्थान—जिस शरीर के सभी अंग अपने-अपने प्रमाण के अनुसार हों और दोनों हाथों तथा दोनों पैरों के कोण पद्मासन से बैठने पर समान हों। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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