________________ 522] [ स्थानाङ्गसूत्र 1. जिस संवत्सर में जिस तिथि में जिस नक्षत्र का योग होना चाहिए, उस नक्षत्र का उसी तिथि में योग होता है, जिसमें ऋतुएं यथासमय परिणमन करती हैं, जिसमें न अति गर्मी पड़ती है और न अधिक सर्दी ही पड़ती है और जिसमें वर्षा अच्छी होती है, वह नक्षत्र-संवत्सर कहलाता है। 2. जिस संवत्सर में चन्द्रमा सभी पूर्णिमाओं का स्पर्श करता है, जिसमें अन्य नक्षत्रों को विषम गति होती है, जिसमें सर्दी और गर्मी अधिक होती है, तथा वर्षा भी अधिक होती है, उसे चन्द्रसंवत्सर कहते हैं। 3. जिस संवत्सर में वृक्ष विषमरूप से असमय में पत्र-पुष्प रूप से परिणत होते हैं, और विना ऋतु के फल देते हैं, जिस वर्ष में वर्षा भी ठीक नहीं बरसती है, उसे कर्मसंवत्सर या ऋतुसंवत्सर कहते हैं। 4. जिस संवत्सर में अल्प वर्षा से भी सूर्य पृथ्वी, जल, पुष्प और फलों को रस अच्छा देता है, और धान्य अच्छा उत्पन्न होता है, उसे आदित्य या सूर्यसंवत्सर कहते हैं। 5. जिस संवत्सर में सूर्य के तेज से संतप्त क्षण, लव, दिवस और ऋतु परिणत होते हैं, जिसमें भूमि-भाग धूलि से परिपूर्ण रहते हैं अर्थात् सदा धूलि उड़ती रहती है, उसे अभिवधित-संवत्सर जानना चाहिए। जीवप्रदेश-निर्याण-मार्ग-सूत्र ___ २१४--पंचविध जीवस्स णिज्जाणमग्गे पण्णत्ते, त जहा–पाएहि, ऊरूहि, उरेणं, सिरेणं सन्चंगेहिं / पाहि णिज्जायमाणे णिरयगामी भवति, ऊहहि णिज्जायमाणे तिरियगामी भवति, उरेणं णिज्जायमाणे मणुयगामी भवति, सिरेणं णिज्जायमाणे देवगामी भवति, सवंगेहि णिज्जायमाणे सिद्धिगति-पज्जवसाणे पण्णत्ते। जीव-प्रदेशों के शरीर से निकलने के मार्ग पाँच कहे गये हैं / जैसे१. पैर 2. उरु, 3. हृदय, 4. शिर, 5. सर्वाङ्ग। 1. पैरों से निर्माण करने (निकलने वाला जीव नरकगामी होता है। 2. उरु (जंघा) से निर्याण करने वाला जीव तिर्यंचगामी होता है। 3. हृदय से निर्माण करने वाला जीव मनुष्यगामी होता है। 4. शिर से निर्माण करने वाला जीव देवगामी होता है। 5. सर्वाङ्ग से निर्याण करने वाला जीव सिद्धगति-पर्यवसानवाला कहा गया है अर्थात् मुक्ति प्राप्त करता है (214) छेदन-सूत्र २१५-पंचविहे छयणे पण्णत्ते, तं जहा--उप्पाछेयणे, वियच्छेयणे, बंधच्छेयणे, पएसच्छेयणे, दोधारच्छेयणे। छेदन (विभाग) पाँच प्रकार का कहा गया है / जैसे१. उत्पाद-छेदन-उत्पाद पर्याय के आधार पर विभाग करना / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org