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________________ चतुर्थ स्थान-चतुर्थ उद्देश ] [405 3. एरण्ड और शालपर्याय--कोई प्राचार्य जाति से एरण्ड के समान हीन किन्तु ज्ञान, आचार और प्रभावशाली होने से शालपर्याय होते हैं / 4. एरण्ड और एरण्डपर्याय--कोई प्राचार्य एरण्ड के समान हीन जाति वाले और उसी के समान ज्ञान, प्राचार और प्रभाव से भी हीन होते हैं (542) / ५४३-चत्तारि रुक्खा पण्णत्ता, त जहा-साले णाममेगे सालपरिवारे, साले णाममेगे एरंडपरिवारे, एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे / एवामेव चत्तारि प्रायरिया पणत्ता, तं जहा-साले णाममेगे सालपरिवारे, साले णाममेगे एरंडपरिवारे, एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरंडे गाममेगे एरंडपरिवारे / संग्रहणी-गाथा सालदुममझयारे, जह साले णाम होइ दुमराया। इय सुंदरपायरिए, सुदरसीसे मुणेयव्वे / / 1 / / एरंडमझयारे, जह साले णाम होइ दुमराया। इय सुदरपायरिए, मंगुलसीसे मुणेयन्वे / / 2 / / सालदुममज्झयारे, एरंडे णाम होइ दुमराया। इय मंगुलमारिए, सुदरसीसे मुणेयब्वे // 3 // एरंडमझयारे, एरंडे णाम होइ दुमराया। इय मंगुलनायरिए, मंगुलसीसे मुणेयब्बे // 4 // पुनः वृक्ष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे-- 1. शाल और शालपरिवार-कोई वृक्ष शाल जाति और शालपरिवार वाला होता है। 2. शाल और एरण्डपरिवार-कोई वृक्ष शाल जाति किन्तु एरण्डपरिवार वाला होता है। 3. एरण्ड और शालपरिवार-कोई वृक्ष जाति से एरण्ड किन्तु शालपरिवार वाला होता है। 4. एरण्ड और एरण्डपरिवार-कोई वृक्ष जाति से एरण्ड और एरण्डपरिवार वाला होता है। इसी प्रकार प्राचार्य भी चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे--- 1. शाल और शालपरिवार-कोई प्राचार्य शाल के समान जातिमान् और शालपरिवार __ के समान उत्तम शिष्यपरिवार वाले होते हैं। 2. शाल और एरण्डपरिवार--कोई श्राचार्य शाल के समान जातिमान्, किन्तु एरण्ड परिवार के समान अयोग्य शिष्य-परिवार वाले होते हैं। 3. एरण्ड और शालपरिवार-कोई प्राचार्य एरण्ड के समान हीन जाति वाले, किन्तु शाल के समान उत्तम शिष्य-परिवार वाले होते हैं। 4. एरण्ड और एरण्डपरिवार-कोई प्राचार्य एरण्ड के समान हीन जाति वाले और एरण्ड परिवार के समान अयोग्य शिष्यपरिवार वाले होते हैं। 1. जिस प्रकार शाल नाम का वृक्ष शालवृक्षों के मध्य में वृक्षराज होता है, उसी प्रकार उत्तम आचार्य उत्तम शिष्यों के परिवार वाला प्राचार्य राज जानना चाहिए। m Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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