________________ चतुर्थ स्थान-तृतीय उद्देश ] [ 337 पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं जैसे---- 1. कुलसम्पन्न, श्रुतसम्पन्न न--कोई पुरुष कुलसम्पन्न होता है, किन्तु श्रुतसम्पन्न नहीं होता। 2. श्रु तसम्पन्न, कुलसम्पन्न न—कोई पुरुष श्रुतसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। 3. कुलसम्पन्न भी, श्रुतसम्पन्न भी-कोई पुरुष कुलसम्पन्न भी होता है और श्र तसम्पन्न भी होता है / 4. न कुलसम्पन्न, न श्रु तसम्पन्न—कोई पुरुष न कुलसम्पन्न होता है और न श्रुतसम्पन्न ही होता है (368) / ३६६-[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-कुलसंपण्णे णाममेगे जो सीलसंपण्णे, सीलसंपणे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि सीलसंपणेधि, एगे णो कुलसंपण्णे णो सीलसंपण्णे / ] पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. कुलसम्पन्न, शीलसम्पन्न न-कोई पुरुष कुलसम्पन्न होता है, किन्तु शीलसम्पन्न नहीं होता। 2. शीलसम्पन्न, कुलसम्पन्न न-कोई पुरुष शीलसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। 3. कुलसम्पन्न भी, शीलसम्पन्न भी-कोई पुरुष कुलसम्पन्न भी होता है और शीलसम्पन्न भी होता है। 4. न कुलसम्पन्न, न शीलसम्पन्न--कोई पुरुष न कुलसम्पन्न होता है और न शीलसम्पन्न ही होता है (366) / ४००-[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–कुलसंपण्णे णाममेगे जो चरित्तसंपण्णे, चरित्तसंपण्णे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि चरित्तसंपण्णेवि, एगे णो कुलसंपण्णे णो चरित्तसंपण्णे। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. कुलसम्पन्न, चरित्रसम्पन्न न-कोई पुरुष कुलसम्पन्न होता है, किन्तु चरित्र-सम्पन्न नहीं होता। 2. चरित्रसम्पन्न, कुलसम्पन्न न--कोई पुरुष चरित्र सम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। 3. कुलसम्पन्न भी, चरित्रसम्पन्न भी-कोई पुरुष कुलसम्पन्न भी होता है और चरित्र सम्पन्न भी होता है। 4. न कुलसम्पन्न, न चरित्रसम्पन्न-कोई पुरुष न कुलसम्पन्न होता है और न चरित्रसम्पन्न ही होता है (400) / For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International