________________ 326 ] [ स्थानाङ्गसूत्र इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे-- 1. युक्त और युक्त-शोभ---कोई पुरुष गुणों से युक्त होता है और उचित शोभा से भी युक्त होता है। 2. युक्त और अयुक्त-शोभ-कोई पुरुष गुणों से युक्त होता है, किन्तु शोभा से युक्त नहीं होता है। 3. अयुक्त और युक्त-शोभ--कोई पुरुष गुणों से तो युक्त नहीं होता है, किन्तु शोभा से युक्त होता है। 4. अयुक्त और अयुक्त-शोभ---कोई पुरुष न गुणों से युक्त होता है और न शोभा से ही युक्त होता है (374) / ३७५-चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, त जहा जुत्ते णाममेगे जुत्ते, जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, प्रजुत्ते णाममेगे जुत्ते, अजुत्ते णाममंगे अजुत्ते। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, त जहा–जुत्ते णाममेगे जुत्ते, जुत्ते णाममेगे प्रजुत्ते, अजुत्ते णाममेगे जुत्ते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते। चार प्रकार के युग्य (घोड़ा आदि अथवा गोल्ल देश में प्रसिद्ध दो हाथ का चौकोर यानविशेष) कहे गये हैं / जैसे 1. युक्त और युक्त-कोई युग्य उपकरणों (काठी प्रादि) से भी युक्त होता है और उत्तम ___गति (चाल) से भी युक्त होता है / 2. युक्त और अयुक्त-कोई युग्य उपकरणों से तो युक्त होता है, किन्तु उत्तम गति से युक्त नहीं होता है। 3. अयुक्त और युक्त---कोई युग्य उपकरणों से तो युक्त नहीं होता, किन्तु उत्तम गति से युक्त होता है। 4. अयुक्त और अयुक्त-कोई युग्य न उपकरणों से युक्त होता है और न उत्तम गति से युक्त होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. युक्त और युक्त-कोई पुरुष सम्पत्ति से भी युक्त होता है और सदाचार से भी युक्त होता है। 2. युक्त और अयुक्त-कोई पुरुष सम्पत्ति से तो युक्त होता है, किन्तु सदाचार से युक्त नहीं __होता है। 3. अयुक्त और युक्त-कोई पुरुष सम्पत्ति से तो युक्त नहीं होता, किन्तु सदाचार से युक्त होता है। 4. अयुक्त और अयुक्त---कोई पुरुष न सम्पत्ति से ही युक्त होता है और न सदाचार से ही ___ युक्त होता है (375) / ३७६-चत्तारि पालावगा, तथा जुम्गेण वि, पडिवक्खो, तहेव पुरिसजाया जाव सोमेत्ति / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org