________________ 286 ] [ स्थानाङ्गसूत्र शंख चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे 1. वाम और वामावर्त-कोई शंख वाम (वाम पार्श्व में स्थित या प्रतिकूल गुण वाला) और वामावर्त (बाई ओर घुमाव वाला) होता है। 2. वाम और दक्षिणावर्त-कोई शंख वाम और दक्षिणावर्त (दाईं ओर घुमाव वाला) होता है। 3. दक्षिण और वामावर्त-कोई शंख दक्षिण (दाहिने पार्श्व में स्थित या अनुकूल गुण वाला) और वामावर्त होता है। 4. दक्षिण और दक्षिणावर्त-कोई शंख दक्षिण और दक्षिणावर्त होता है / इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे 1. वाम और वामावर्त--कोई पुरुष वाम (स्वभाव से प्रतिकूल) और वामावर्त (प्रवृत्ति से भी प्रतिकूल) होता है। 2. वाम और दक्षिणावर्त-कोई पुरुष वाम, किन्तु दक्षिणावर्त (अनुकूल प्रवृत्ति वाला) होता है। 3. दक्षिण और वामावर्त-कोई पुरुष दक्षिण (स्वभाव से अनुकूल), किन्तु वामावर्त होता है। 4. दक्षिण और दक्षिणावर्त-कोई पुरुष दक्षिण (स्वभाव से भी अनुकूल) और दक्षिणावर्त (अनुकूल प्रवृत्ति वाला) होता है (266) / २७०-चत्तारि धूमसिहाम्रो पण्णत्तानो, त जहा–वामा णाममे गा वामावत्ता, वामा णामम गा दाहिणावत्ता, दाहिणा णामम गा वामावत्ता, दाहिणा णाममे गा दाहिणावत्ता। एवाम व चत्तारि इत्थीओ पण्णत्तानो, त जहा–वामा गाममेगा वामावत्ता, वामा णाममे गा दाहिणावत्ता, दाहिणा णामम गा वामावत्ता, दाहिणा णामम गा दाहिणावत्ता / धूम-शिखाएं चार प्रकार की कही गई हैं। जैसे१. वामा और वामावर्ता—कोई धूम-शिखा वाम और वामावर्त होती है। 2. वामा और दक्षिणावर्ता—कोई धूम-शिखा वाम किन्तु दक्षिणावर्त होती है / 3. दक्षिणा और वामावर्ता--कोई धूम-शिखा दक्षिण, किन्तु वामावर्त होती है। 4. दक्षिण और दक्षिणावर्ता-कोई धूम-शिखा दक्षिण और दक्षिणावर्त होती है / इसी प्रकार चार प्रकार की स्त्रियां कही गई हैं, जैसे --- 1. वामा और वामावर्ता-कोई स्त्री वाम और वामावर्त होती है / 2. वामा और दक्षिणावर्ता-कोई स्त्री वाम. किन्त दक्षिणावर्त होती है। 3. दक्षिणा और वामावर्ता-कोई स्त्री दक्षिण किन्तु वामावर्ती होती है। 4. दक्षिणा और दक्षिणावर्ता-कोई स्त्री दक्षिण और दक्षिणावर्त होती है (270) / २७१-–चत्तारि अग्गिसिहामो पण्णतानो, त जहा -वामा गाममेगा वामावत्ता, वामा णामम गा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममगा वामावत्ता, दाहिणा णाममगा दाहिणावत्ता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org