________________ 264 ] [स्थानाङ्गसूत्र 1. आर्य और आर्यव्यवहार-कोई पुरुष जाति से आर्य और पार्यव्यवहार वाला होता है। 2. आर्य और अनार्यव्यवहार-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यव्यवहार वाला होता है। 3. अनार्य और आर्यव्यवहार-कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यव्यवहार वाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यव्यवहार-कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यव्यवहार वाला भी होता है (216) / २२०-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--प्रज्जे णाममेगे प्रज्जपरक्कमे, अज्जे णाममंगे अणज्जपरक्कमे, अणज्जे णाममेगे अज्जपरक्कमे, अणज्जे णाममेगे अणज्जपरक्कमे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. आर्य और आर्यपराक्रम-कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यपराक्रम वाला होता है। 2. आर्य और अनार्यपराक्रम-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यपराक्रम वाला ' होता है। 3. अनार्य और आर्यपराक्रम-कोई पुरुष जाति से अनार्य किन्तु आर्यपराक्रम वाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यपराक्रम--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यपराक्रम वाला होता है (220) / २२१-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-प्रज्जे गाममेगे अज्जवित्ती, अज्जे णाममेगे अणज्जवित्ती, अणज्जे णाममेगे अज्जवित्ती, अणज्जे णाममेगे अणज्जवित्ती। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. आर्य और आर्यवृत्ति--कोई पुरुष जाति से आर्य और प्रार्यवृत्तिवाला होता है। 2. आर्य और अनार्यवृत्ति--कोई पुरुष जाति से प्रार्य, किन्तु अनार्यवृत्तिवाला होता है / 3. अनार्य और आर्यवृत्ति--कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यवृत्तिवाला होता है / 4. अनार्य और अनार्यवृत्ति--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यवृत्तिवाला होता है (221) / २२२-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता त जहा-अज्जे णाममेगे अज्जजाती, अज्जे णाममेगे अणज्जजाती, अणज्जे णाममेगे अज्जजाती, अणज्जे णाममेगे अणज्जजाती। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. आर्य और आर्यजाति--कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यजाति वाला (सगुण मातृ पक्षवाला) होता है। 2. आर्य और अनार्यजाति--कोई पुरुष जाति से प्रार्य, किन्तु अनार्य जाति (मातृपक्ष) वाला होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org