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________________ 262 ] [ स्थानाङ्गसूत्र 2. आर्य और अनार्य-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु गुण से अनार्य होता है / 3. अनार्य और आर्य—कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु गुण से आर्य होता है। 4. अनार्य और अनार्य-कोई पुरुषजाति से अनार्य और गुण से भी अनार्य होता है (211) / २१२--[चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा--प्रज्जे णाम मेगे अज्जपरिणए, अज्जे णाममेगे अणज्जपरिणए, अणज्जे णाममेगे अज्जपरिणए, अणज्जे णाममेगे अणज्जपरिणए। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और प्रार्यपरिणत-कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यरूप से परिणत होता है / 2. आर्य और अनार्यपरिणत-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यरूप से परिणत होता है। 3. अनार्य और आर्यपरिणत-कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यरूप से परिणत होता है। 4. अनार्य और अनार्यपरिणत-कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य रूप से परिणत होता है (212) / २१३–चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--प्रज्जे णाममेगे अज्जरूवे, अज्जे णाममेगे अणज्जरवे, अणज्जे गाममेगे अज्जरूवे, अणज्जे णाममेगे अणज्जरूवे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और प्रार्यरूप कोई पुरुष जाति से आर्य और प्रार्यरूपवाला होता है। 2. आर्य और अनार्यरूप—कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यरूपवाला होता है / 3. अनार्य और आर्यरूप-कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यरूपवाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यरूप--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यरूपवाला होता है (213) / २१४-चत्तारि युरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–अज्जे णाममेगे अज्जमणे, अज्जे णाममेगे अणज्जमणे, अणज्जे णाममेगे अज्जमणे, अणज्जे णाममेगे अणज्जमणे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यमन-कोई पुरुष जाति से आर्य और मन से भी आर्य होता है। 2. आर्य और अनार्यमन-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु मन से अनार्य होता है। 3. अनार्य और आर्यमन --कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु मन से आर्य होता है। 4. अनार्य और अनार्यमन-कोई पुरुष जाति से अनार्य और मन से भी अनार्य होता है (214) / २१५-चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-अज्जे णाम मेगे अज्जसंकप्पे, अज्जे णाममेगे अणज्जसंकप्पे, अणज्जे णाममेगे अज्जसंकप्पे, अणज्जे णाममेगे अणज्जसंकप्पे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्य संकल्प-कोई पुरुष जाति से प्रार्य और संकल्प से भा आर्य होता है। 2. आर्य और अनार्यसंकल्पकोई पुरुष जाति से प्रार्य, किन्तु अनार्य-संकल्प वाला होता है / 3. अनार्य और आर्यसंकल्प--कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य-संकल्प वाला होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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