________________ 258] [स्थानाङ्गसूत्र 3. अदीन होकर दीनरूप--कोई पुरुष दीन न होकर के भी दीनरूप वाला होता है / 4. अदीन होकर अदीनरूप--कोई पुरुष न दीन है और न दीनरूप वाला होता है (166) / १६७–एवं दीणमणे 4, दीणसंकप्पे 4, दीणपण्णे 4, दीणदिट्ठी 4, दीणसीलाचारे 4, दोणववहारे 4, एवं सम्वेसि चउभंगो भाणियब्वो। (चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–दोणे णाममेगे दीणमणे, दोणे णाममगे अदीणमणे, अदोणे णाममेगे दोणमणे, अदोणे णाममेगे अदीणमणे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. दीन और दीनमन--कोई पुरुष दीन है और दीन मनवाला भी होता है। 2. दीन और अदीनमन-कोई पुरुष दीन होकर भी दीन मनवाला नहीं होता। 3. अदीन और दीनमन-कोई पुरुष दीन नहीं होकर के भी दीन मनवाला होता है। 4. अदीन और अदीनमन-कोई पुरुष न दीन है और न दीन मनवाला होता है (197) / १९८-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–दीणे णाममेगे दोणसंकप्पे, दोणे णाममेगे अदीणसंकप्पे, प्रदीणे णाममेगे दीणसंकप्पे, प्रदीणे णाममेगे अदीणसंकप्पे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. दीन और दीनसंकल्प-कोई पुरुष दीन होता है और दीन संकल्पवाला भी होता है। 2. दीन और अदीन संकल्प-कोई पुरुष दीन होकर भी दीन संकल्पवाला नहीं होता। 3. अदीन और दीन संकल्प--कोई पुरुष दीन नहीं होकर के भी दीन संकल्पवाला होता है। 4. अदीन और अदीन संकल्प--कोई पुरुष न दीन है और न दीन संकल्पवाला होता है (198) / १९६--चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, त जहा-दीणे णाममेगे दीणपण्णे, दीणे णाममेगे अदीणपण्णे, प्रदीणे णाममेगे दीणपण्णे, अदोणे णाममेगे अदीणपण्णे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. दीन और दीनप्रज्ञ--कोई पुरुष दीन है और दीन प्रज्ञावाला होता है। 2. दीन और अदीनप्रज्ञ--कोई पुरुष दीन होकर के भी दीन प्रज्ञावाला नहीं होता। 3. अदीन और दीनप्रज्ञ--कोई पुरुष दीन नहीं होकर के भी दीनप्रज्ञावाला होता है। 4. अदीन और अदीनप्रज्ञ--कोई पुरुष न दीन है और न दीनप्रज्ञावाला होता है (196) / २००-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा--दोणे णाममेगे दोणदिट्टी, दोणे णाममेगे प्रदीणदिट्ठी, प्रदोणे गाममेगे दोगदिट्ठी, प्रदीणे णाममेगे प्रदीणदिट्ठी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे--- 1. दीन और दीनदृष्टि-कोई पुरुष दीन है और दीन दृष्टिवाला होता है / 2. दीन और अदीनदृष्टि-कोई पुरुष दीन होकर भी दीनदृष्टि वाला नहीं होता है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org