________________ तृतीय स्थान सार : संक्षेप प्रस्तुत स्थान के चार उद्देश हैं, जिनमें तीन-तीन की संख्या से संबद्ध विषयों का निरूपण किया गया है। प्रथम उद्देश में तीन प्रकार के इन्द्रों का, देव-विक्रिया, और उनके प्रवीचार-प्रकारों का तथा योग, करण, आयुष्य-प्रकरण के द्वारा उनके तीन तीन प्रकारों का वर्णन किया गया है। पुनः गुप्ति-अगुप्ति, दण्ड, गर्हा, प्रत्याख्यान, उपकार और पुरुषजात पदों के द्वारा उनके तीन-तीन प्रकारों का वर्णन है। तत्पश्चात् मत्स्य, पक्षी, परिसर्प, स्त्री-पुरुषवेदी, नपुसकवेदी, तिर्यग्योनिक, और लेश्यापदों के द्वारा उनके तीन-तीन प्रकार बताये गये हैं / पुनः तारा-चलन, देव-विक्रिया, अन्धकार-उद्योत आदि पदों के द्वारा तीन-तीन प्रकारों का वर्णन है / पुन: तीन दुष्प्रतीकारों का वर्णन कर उनसे उऋण होने का बहुत मार्मिक वर्णन किया गया है / तदनन्तर संसार से पार होने के तीन मार्ग बताकर कालचक्र, अच्छिन्न पुद्गल चलन, उपधि, परिग्रह, प्रणिधान, योनि, तृणवनस्पति, तीर्थ, शलाका पुरुष और उनके वंश के तीन-तीन प्रकारों का वर्णन कर, आयु, बीज-योनि, नरक, समान-क्षेत्र, समुद्र, उपपात, विमान, देव और प्रज्ञप्ति पदों के द्वारा तीन-तीन वर्ण्य विषयों का प्रतिपादन किया गया है। द्वितीय उद्देश का सार इस उद्देश में तीन प्रकार के लोक, देव-परिषद्, याम (पहर) वय (अवस्था) बोधि, प्रव्रज्या शैक्षभूमि, स्थविरभूमि का निरूपण कर गत्वा-अगत्वा आदि 20 पदों के द्वारा पुरुषों की विभिन्न प्रकार की तीन-तीन मनोभावनाओं का बहुत सुन्दर वर्णन किया गया है / जैसे-कुछ लोग हित, मित सात्त्विक भोजन करने के बाद सूख का अनुभव करते हैं। कुछ लोग अहितकर और अपरिमित भोजन करने के बाद अजीर्ण, उदर-पीड़ा आदि के हो जाने पर दुःख का अनुभव करते हैं / किन्तु हित-मित भोजी संयमी परुष खाने के बाद त सख का अनुभव करता है और न दुःख का ही अनुभव करता है, किन्तु मध्यस्थ रहता है / इस सन्दर्भ के पढ़ने से मनुष्यों की मनोवृत्तियों का बहुत विशद परिज्ञान होता है। तदनन्तर गहित, प्रशस्त, लोकस्थिति, दिशा, बस-स्थावर और अच्छेद्य आदि पदों के द्वारा तीन-तीन विषयों का वर्णन किया गया है। अन्त में दुःख पद के द्वारा भगवान् महावीर और गौतम के प्रश्न-उत्तरों में दुःख, दुःख होने के कारण, एवं अन्य तीथिकों के मन्तव्यों का निराकरण किया गया है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org