________________ 40] [ स्थानाङ्गसूत्र साम्परायसरागसंयम (नवम गुणस्थान से नीचे गिरनेवाले का संयम) और अप्रतिपाती बादराम्पराय सरागसंयम (नवम गुणस्थान से ऊपर चढ़ने वाले का संयम) (113) / ११४-वीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, त जहा उवसंतकसायवीयरागसंजमे चव, खीणकसायवीयरागसंजमे चव। ११५--उवसंतकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-पढमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे च व, अपढमसमय उवसंतकसायवीयरागसंजमे च व / अहवा-चरिमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चव, अचरिमसमय उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव। ११६–खीणकसायबीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, त जहा - छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे चव, केवलिखीणकसायबीयरागसंजमे चेव / ११७---छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-सयंबुद्धछउ. मत्थखीणकसायवीतरागसंजमे चेव, बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागसंजमे चव।११८-सयंबद्धछउमस्थखीणकसायवीयरागसंजमे दविहे पण्णत्ते, त जहा-पढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागसंजमें चंव, अपढमसमयसयंबद्धछउमस्थखीणकसायवीतरागसंजम चव / प्रहवा-चरिमसमयसयंबद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागसंजमे चव, अचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागसंजमे चव / ११९-बुद्ध बोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागसंजमे दुविहे पण्णते, तं जहा--पढमसमयबद्धघोहियछउमत्थखोणकसायवीतरागसंजमे चेव, अपढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागसंजम चे व / अहवा-चरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे चेव, प्रचरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्यखीणकसायवीयरागसंजमे चव। वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है--उपशान्तकषाय वीतरागसंयम और क्षीणकषाय वीतरागसंयम (114) / उपशान्तकषाय वीतरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है--प्रथमसमय उपशान्तकषाय वीतरागसंयम और अप्रथमसमय उपशान्तकषाय वीतरागसंयम / अथवा-चरमसमयउपशान्तकषाय वीतरागसंयम और अचरमसमय उपशान्तकषाय वीतराग संयम (115) / क्षीणकषाय वीतरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है---छद्मस्थक्षीणकषाय वीतरागसंयम और केवलिक्षीणकषाय वीतरागसंयम (116) / छद्मस्थक्षीणकषाय वीतरागसंयम दो प्रकार का होता है--स्वयंबुद्ध छद्मस्थ क्षीणकषायवीतरागसंयम और बुद्धबोधित छद्मस्थ-क्षीणकषाय वीतरागसंयम (117) / स्वयं बुद्ध छद्मस्थक्षीणकषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है--प्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थक्षीणकषाय वीतराग संयम और अप्रथमसमय-स्वयंबुद्ध-छद्मस्थक्षीणकषाय वीतराग संयम / अथवा-- चरमसमय स्वयं बुद्ध-छद्मस्थ क्षीणकषाय वीतराग संयम और अचरमसमय स्वयंबुद्ध-छद्मस्थक्षीणकषायवीतराग संयम (118) / बुद्धबोधितछमस्थक्षीणकषायवीतरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है—प्रथमसमय वुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीणकषायवीतरागसंयम और अप्रथमसमय बुद्धबोधित छद्मस्थ क्षीरणकषाय वीतराग संयम अथवा चरमसमय बुद्धबोधित छद्मस्थक्षीणकषायवीतराग संयम और अचरमसमय बुद्धबोधित छद्मस्थक्षीणकषाय वीतराग संयम (116) / १२०-केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, त जहा-सजोगिकेवलिखीणकसायवोयरागसंजमे चव, अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव / १२१-सजोगिकेलिखीणकसायवोयरागसंजमे दुविहे पण्णते, तजहा-पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागसंजमे चव, अपढमसमयसजोगिकेबलिखीणकसायवीयरागसंजमेचे व / अहवा-चरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org