________________ 470 प्रवकृतांग सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध सूत्राडू गाथा सूत्राङ्क 264 465 aur 248 356 357 समज्जिणित्ता कलुस अणज्जा समणं पि ददासीणं समालवेज्जा पडिपुण्णभासी समिते उ सदा साहू समूमित नाम विधूमठाणं मूसिया तत्थ विसूणितंगा इम्मिस्सभा सगिरा गिहीते सवणा-असणेण जोगे(ग्गेण सय तिवायए पाणे सचं दुक्कड च न वयइ सयंभुणा कडे लोए सयं समेच्चा अदुवा वि सोच्चा सयं सयं पसंसता सयं सहस्साण उ जोयषाणु सन्चे जगं तू समयाणुपेही सव्व गच्चा अहिए सव्वप्पग विउक्कस्सं सव्वाई संगाई अइच्च धीरे सव्वाहिं अणुजुत्तीहिं अचयंता सव्वाहि अणुजुत्तीहिं मतिमं सविदियाभिनिन्बुडे पयासु सव्वे सयकम्मकप्पिया सहसम्मुइए णच्चा साहरे हत्थ-पादे य सिद्धा य ते अरोगा य सीओदगपडिदुगुछिणो सीहं जहा खुद्दमिगा चरता सीहं जहा व कुणिमेणं सुअक्खातधम्मे वितिगिच्छतिष्णे सुतमेतमेवमेगेसि सुदं सणस्सेस जसो गिरिस्स सुद्ध मग्गं विराहिता 326 सुद्ध रवति परिसाए 261 सुद्ध अपावए आया 603 सुद्धे सिया जाए न दूसएज्जा 88 सुणि च सागपागाए 334 सुविसुद्धलेस्से मेधावी 335 सुस्सूसमागो उवासेज्जा 536 सुहमेणं तं परक्कम्म 250 सूरं मण्णति अप्पाणं 3 से पण्णसा अक्खये सागरे वा 265 से पब्बते सद्दमहपगासे 66 से पेसले सुहमे पुरिसजाते 575 से भूतिपण्णे अणिएयचारी 50 से वारिया इत्थि सराइभत्त' 361 से वीरिएणं पडिपुण्णवीरिए 476 से सव्वदंसी अभिभूय पाणी 157 से सुच्चति नगरवहे व सद्दे 36 से सुद्धसुते उवहाण च 408 सेहंति य णं ममाइणो 220 से हु चक्खू मणुस्साणं 505 सोच्चा भगवाणुसासणं 476 सोच्चा य धम्म अरहंतभासियं 160 हणंतं नाणुजाणेज्जा 424 हण छिदह भिदह गं दहह 427 हत्थऽस्स-रह-जाणेहि ___74 हत्थीसु एरावणमाहु गाते 130 हत्थेहि पाएहि य बंधिऊणं 462 हम्ममाणो न कुप्पेज्जा 254 हरिताणि भूताणि बिलंबगाणि 475 हा पिणो संधये पावधम्मे 266 हुतेण जे सिद्धिमुदाहरति 365 होलावाय' सहीवाय 525 317 0 m Mmm your mx mm or mr or ur m or ov 2 150 dur 512 305 Mn. A GM Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org