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________________ 464 सूत्रकृतांग सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध गाथा सूत्राडू गाथा सूत्राङ्क 577 402 467 353 564 378 285 626 404 274 262 544 एवं तु समणा एगे एवं तु समणा एगे एवं तु समणा एगे एवं तु समणा एगे एवं तु समणा एगे एवं तु सेहं पि अपुट्ठधम्म एवं तु सेहे वि अपुट्ठधम्मे एवं निमंतणं लद्ध एवं बहुर्हि कयपुवं एवं भयं ण सेयाए एवं मए पुढे महाणुभागे एवं मत्ता महंतरं एवं लोगंमि ताइणा एव विप्पडिवण्णेगे एवं समुट्ठिए भिक्खू एवं से उदाहु अणुत्तरनाणी एवं सेहे वि अप्पुळे एवमण्णाणिया नाणं एवमायाय मेहावी एवमेगे उपासत्था एवमेगे उ पासत्था एवमेगे उ तु पासत्था एवमेगे ति जंपति एवमेगे नियायट्ठी एवमेगे वितक्काई एवमेताई जंपंता एहि ताय घरं जामो ओजे सदा ण रज्जेज्जा ओसाणमिच्छे मणुए समाहिं कंसु पक्खिप्प पयंति बालं कडं च कज्जमाणं च कडेसु घासमेसेज्जा कम्ममेगे पवेदेति 56 कम्मं च छंद च विविच धीरे 63 कम्म परिणाय दगंसि धीरे 206 कतरे धम्मे अक्खाते 524 कयरे मरगे अक्खाते 527 कहं च णाणं कह दंसणं से 582 कामेहि य संथवेहि य 562 कालेण पुच्छे समिय पयासु 203 किरियाकिरियं वेणइयाणुवाय 265 कुजए अपराजिए जहा 267 कुठें अगुरु तगरु च 301 कुतो कताइ मेधावी 142 कुलाई जे धावति सादुगाई 134 कुवंति च कारयं चेव 175 कुव्वं ति पावगं कम्म 210 कुव्वं संथवं ताहि 164 केई निमित्ता तहिया भवति 167 केसिंच बंधित्त गले सिलाओ 43 केसिंचि तक्काइ अबुज्झ भाव 423 को जागति विओवातं 32 कोलेहिं विज्झति असाहुकम्मा 237 कोहं च माणं च तहेव मायं 233 खेयनए से कुसले आसुपन्ने 10 गंतु तात पुणोऽऽगच्छे 47 गंथं विहाय इह सिक्खमाणो 48 गंध मल्ल सिणाणं च 31 गम्भाइ मिज्जति बुयाऽबुयाणा 187 गारं पि य आवसे नरे 278 गिरीवरे वा निसहायताणं 583 गिहे दीवमपस्संता 333 गुत्तो वईए य समाहिपत्ते 431 घडिगं च संडिडिमयं च 76 चंदालगं च करंग च 412 चत्तारि अगणीओ समारभित्ता 576 207 308 377 446 0. irr 4 . 467 261 260 312 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003470
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages847
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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