________________ प्राथमिक के 84, अज्ञानवादी के 67 और विनयवादी के 32 / यो कुल 363 भेदों की संख्या बताई है। वृत्तिकार ने इन चारों वादों के 363 भेदों को नामोल्लेखपूर्वक पृथक्-पृथक् बताया है। ये चारों वाद एकान्तवादी स्वाग्रही होने से मिथ्या हैं, सापेक्ष दृष्टि से मानने पर सम्यक् हो सकते हैं। पूर्वोक्त चारों स्वेच्छानुसार कल्पित एकान्त मतों (वादों) में जो परमार्थ है, उसका निश्चय करके समन्वयपूर्वक सम्मेलन (समवसरण) करना ही इस अध्ययन का उद्देश्य है / 0 प्रस्तुत अध्ययन में कुल 23 गाथाएं हैं। यह अध्ययन सूत्रगाथा 535 से प्रारम्भ होकर 556 पर पूर्ण होता है / 0000 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org