________________ प्राथमिक प्राणियों की गति-आगति, स्वभाव, शरीर, कर्म आदि के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान, अनन्तज्ञानादि सम्पत्रता आदि का भी वर्णन है। महावीर को श्रेष्ठता के लिए संसार के श्रेष्ठ माने जाने वाले सुमेरु, चन्द्र, सूर्य, स्वयम्भरमण समुद्र, देवेन्द्र, शंख आदि पदार्थों से उपमा दी गई है। तथा निर्वाणवादियों, साधुओं, मुनियों, तपस्वियों, सुज्ञानियों, शुक्लध्यानियों, धर्मोपदशकों, अध्यात्मा विद्या के पारगामियों, चारित्रवानों एवं प्रभावको में सर्वश्रेष्ठ एवं अग्रणी नेता माना गया है। 0 प्रस्तुत अध्ययन सूत्र गाथा 352 से प्रारम्भ होकर 380 पर समाप्त होता है। 6 सूयगडंग सुत्त मूलपाठ-टिप्पण-सहित पृ० 63 से 67 तक का सारांश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org