________________ 436 आचारांग सूत्र-द्वितीय श्रतस्कन्ध सूत्र 324, 325, 326, 331, 332, 335, 360, 261, 366 745 366, 371, 373, 375381, 386, 387, 360, 362, 367, 802-405, 446. 563, 564, 567, 566, 570, 562,563. 568, 603. 623, 624, 626, 627. 637, 681. 332 482. 516 421, 703 523 524. 525, 526, 527, 526, 534, 542, 544 शब्द सूत्र शब्द अधियपेच्छणिज्ज 754 अफासुय अधुणाधोत अधुव 520, 570 अपच्छिम अपडिलेहियाए 456 अपमज्जिय 356, 607 अपरिसाडा अपलि उंचमाण अपसू 607 अपाणय 766, 772 अपारग 802 अबहिया अपावए 778 अबहिलेस्स अपाविया 778 अभंगेज्ज अपियाई 342 अभासा अपुत्ता 607 अभिकख अपुरिसंतरकड 331, 332, 335, 337, 413-418, 556, 646 अभिक्कतकिरिया अप्प (अल्प) 324, 360, 402, 403, अभिक्खण 406, 412, 431, 455, 458, अभिग्गह 462, 468, 468, 502, 553, अभिचारियं 570, 571, 588, 624, 625, अभिणिक्खमण 627, 626, 630, 642, 647, अभिद्दवं 667, 783, 786 अभिपबुद्ध अप्प (आत्मन्) 357, 360,423, 428, अभिप्पाय 426, 437, 482, 563, अभिमुह 583, 611, 633, 734, अभिरूब 770, 775 अभिसेय अप्पतिट्टित 804 अभिहट्ट अप्पजूहिय 346 अभिहड अप्पडिहारिय 455 अभीरु अप्पतर 474 अभूतोवघातिया अप्पत्तिय 622 अमणण्ण अप्पसावज्जकिरिया 441 अमयवास अप्पाइण्ण 348, 466 अमायं अप्पाण 341, 343, 482 अमिल अप्पुस्सुए 4-2, 486, 515, 516 अमुग 518, 584, 742 अमुच्छ्यि 432, 781, 784 770 501 746, 747, 753 764 464 746, 753 754, 766 534, 536, 544 404-405 331, 332, 338, 413 763 525, 527 760 738 / 527 357 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org