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________________ 285 सप्तम अध्ययन : प्रथम उद्देशक : सूत्र 612-16 613. से भिक्खू वा 2 से ज्जं पुण उग्गहं' जाणेज्जा थूर्णसि वा 4 जाव तहप्पगारे अंतलिक्खजाते दुम्बद्ध जाव णो उग्गहं ओगिण्हेज्ज वा। 614. से भिक्खू वा 2 से ज्ज पुण उग्गहं जाणेज्जा कुलियंसि वा 4 जाव णो [उग्गह ओगिण्हेज्ज बा२। 615. से भिक्खू वा 2 [से ज्ज पुण उग्गहं जाणेज्जा] खंधसि वा 66, अण्णतरे वा तहप्पगारे जाव णो उग्गहं ओगिण्हेज्ज वा 2 / 616. से भिक्खू वा 2 से ज्जं पुण उग्गहं जाणेज्जा सागारियं सागणियं सउदयं सइत्थि सखुड्डं सपसुभत्तपाणं णो पण्णस्स णिक्खम-पवेस जाव धम्माणुओगचिताए, सेवं णच्चा तहप्पगारे उवस्सए सागारिए जाव सखुड्ड-पसु-भतपाणे नो उग्गहं ओगिण्हेज्ज वा 2 / 617. से भिक्खू वा 2 से ज्जं पुण उग्गहं जाणेज्जा गाहावतिकुलस्स मज्झमझेणं गंतुं पंथे (वत्थए) पडिबद्ध वा, णो पण्णस्स जाव", से एवं णच्चा तहप्पगारे उवस्सए णो उग्गहं ओगिण्हेज्ज वा 2 / 618. से भिक्खू वा 2 से ज्जं पुण उग्गहं जाणेज्जा-इह खलु गाहावतो वा जाब कम्मफरीओ वा अन्नमन अक्कोसंति वा तहेव१२ तेल्लादि सिणाणादि सीओदगवियडादि णिगिणा ठिता जहा सेज्जाए आलावगा, णवरं उग्गहवत्तव्वता / 1. 'से ज्जं पुण उग्गहं जाणेज्जा' पाठ किसी-किसी प्रति में नहीं है / 2. 'थर्णसि वा' के आगे '4' का अंक सू० 576 के अनुसार शेष तीन पदों का सूचक है। 3. यहां जाव' शब्द सू० 576 के अनुसार 'दुवढे' से 'जो उग्गहं तक के पाठ का सूचक है। 4. 'ओगिण्हेज्ज बा' के आगे '2' का अंक पगिण्हेज्ज वा' पाठ का सूचक है। 5. 'कुलियंसि वा' के आगे 4 का अंक सूत्र-५७७ के अनुसार भित्तिसि वा' आदि शेष तीन पदों का सूचक है। 6. "खंधसि वा' के आगे 6 का अंक सत्र. 578 के अनसार 'मंचंसिवा' आदि अवशिष्ट 5 पदों का सूचक है। 7. 'सागारियं' के बदले 'ससागारियं' पाठान्तर है। 8. यहां 'जाव' शब्द सूत्र-३४८ के अनुसार 'निक्खम-पवेस' से 'धम्माणुओगचिताए' पाठ तक का सूचक है। 6. यहाँ 'जाव' शब्द इसी सूत्र के अनुसार 'सागारिए' से लेकर 'सखुड्ड' पाठ तक का सूचक है। 10. 'गंतु पंथे पडिबद्धं' के बदले 'गंतु वत्थए' 'गंतु पंथपडिबद्ध' पाठान्तर है। 11. यहाँ 'जाव' शब्द 'पण्णस्स' से लेकर 'सेवं गच्चा' तक का पाठ सूत्र 348 के अनसार समझें। 12. 'तहेब' शब्द से सू०-.४४६, 550, 451, 452, 853 सूत्रों में वर्णित पाठ का समुरुचय में 'जहा सेज्जाए आलावग' कह कर सूचित किये गये हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003469
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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