________________ समर्पण जिनवाणी के परम उपासक, बहुभाषाविज्ञ वयःस्थविर, पर्यायस्थविर, श्रुतस्थविर श्री वर्धमान जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी श्रमणसंघ के द्वितीय प्राचार्य परम आदरणीय श्रद्धास्पद राष्ट्रसंत आचार्यप्रवर श्री आनन्दऋषिजी महाराज को सादर-सविनय-सभक्ति। मधुकर मुनि (प्रथम संस्करण से) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org