________________ 398 366 400 404 408 412 415 421 776 पंच महावत एवं षड्जीवनिकाय की प्ररूपणा 777 प्रथम महाव्रत ওওওও प्रथम महाव्रत और उसकी पांच भावनाएँ 780-782 द्वितीय महाव्रत और उसकी पाँच भावनाएँ 783-784 तृतीय महाव्रत और उसकी पाँच भावनाएँ 786-787 चतुर्थ महाव्रत और उसकी पांच भावनाएँ 757-761 पंचम महावत और उसकी पांच भावनाएं 762 उपसंहार चतुर्थ चूला : (1 अध्ययन) विमुक्ति : सोलहवां अध्ययन 763 अनित्य-भावना बोध 764-765 पर्वत की उपमा तथा परीषहोपसर्ग-सहन प्रेरणा 766-800 रजत शुद्धि का दृष्टान्त और कर्ममल शुद्धि की प्रेरणा 801 भ जंग दृष्टांत द्वारा बंधन-मुक्ति की प्रेरणा 802-804 महासमुद्र का दृष्टांत : कर्म अन्त करने की प्रेरणा ।आचार चला समाप्त / परिशिष्ट 431 से 480 / 1 विशिष्ट शब्द सूची 2 गाथाओं की अनुक्रमणिका 3 'जाव' शब्द पूरक सूत्र-निर्देश 4 संपादन विवेचन में प्रयुक्त संदर्भ ग्रन्थों की सूची // आचारांग सूत्र संपूर्ण // 423 424 425 428 428 470 477 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org