________________ 354 .: . आचारांगसूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध झाती शम्द जहातहा 133, 180 जोणि 267 जहा वि 19, 178 जोणीयो 6,76 जहेत्थ 74, 89, 157, 159 जोव्वण जाई 229 झंझा 127 जायो 277 झाण 320 जागरवेरोवरत 107 280, 321 जाणया (जानता) 201 झिमिय 179 ठाण जाणवय 295 79, 164, 238, 244, 247, जाणु 248 ठावए 249 45, 112,133, 134, 177 ठित 33, 169 191, 256 ठियप्प 197 जाती-मरण 77, 78, 176 डंड 299, 30 जातीइमरणमोयणाए 7, 13, 24, 35, 43 डसंतु 51, 58 डसमाण जात 178, 179 जातामाताए 123 णदि 99, 114, 119 जाम 202 ण(नगर 196, 224, 279, जाव 69, 198, 199, 205 णगरंतर 217, 221 णगिण 185 जावइत्थ जावज्जीव 262 जिण 168 151 णममाण जिब्भा 15 191, 194 जीव 26, 49, 62, 132, 136, 139, 196 108, 140, 162, 177, 191, 198 197, 203, 204, 205 ण रग 84, 130 जीवणिकाय 62 ण (न) ह (नख) 15, 52 जीविउं 56 णाओ(नागः) जीविउ (तु) काम 77 78 जाण 146, 177, 182, 191 जीवित (य) 7, 13, 24, 35, 43, 51 णाणभट्ट 191 58, 66, 77, 78, 90, 99 णाणवं 107 127, 129, 147, 191, 232 णाणी 119, 123, 134, 135, 269 जीहपण्णाणा णातं 1,2, 14, 25, 36, 44, 52, 59 जुइमस्स 209 णातबल जुद्धारिहं 159 णातसुत जुन्नाई णाति 87,133, 193 णाभि 260 णाम 170, 182,192 जोग 228, 269 गाय (न्याय) 101 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Xxur 00 णट्ट ड णर 263 जूरति