________________ ॐ अहं जिनागम-प्रन्यमाला: ग्रन्थांक-.--१ [परम श्रद्धय गुरुदेव पूज्य श्री जोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित] पंचम गणधर भगवत् सुधर्मस्वामि-प्रणीत : प्रथम अङ्ग आचारांगसूत्र [प्रथम श्रुतस्कन्ध [मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद-विवेचन-टिप्पण-परिशिष्ट युक्त] प्रेरणा [7 उपप्रवर्तक शासनसेवी स्व० स्वामी श्री ब्रजलालजी महाराज श्राद्य संयोजक तथा प्रधान सम्पादक (स्व०) युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' सम्पादक-विवेचक / श्रीचन्द सुराणा 'सरस' मुख्य सम्पादक पं. शोभाचन्द्र भारिल्ल प्रकाशक श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org