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अनुयोगद्वारसूत्र
पर एक विशाल तालाब बनवाया और उसके किनारे षड् ऋतुओं के फल-फूलों वाले वृक्ष लगवा दिये।
इसके बाद किसी समय पुनः राजा अमात्य सहित उसी रास्ते पर घूमने निकला। वृक्ष-समूह से सुशोभित जलाशय को देखकर राजा ने अमात्य से पूछा—यह रमणीक जलाशय किसने बनवाया है ?
अमात्य ने उत्तर दिया—महाराज ! आपने ही तो बनवाया है।
अमात्य का उत्तर सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ। वह बोला—सचमुच ही यह जलाशय मैंने बनवाया | है ? जलाशय बनवाने का कोई आदेश मैंने दिया हो, याद नहीं है।
अमात्य ने पूर्व समय की घटना की याद दिलाते हुए बताया-महाराज ! इस स्थान पर बहुत समय तक मूत्र को बिना सूखा देख कर आपने यहां जलाशय बनवाने का विचार किया था। आपके मनोभावों को जानकर मैंने यह जलाशय बनवा दिया है।
____ अपने अमात्य की दूसरे के मनोभावों को परखने की प्रतिभा देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसकी प्रशंसा करने लगा।
(यह तीनों अप्रशस्त भावोपक्रम के दृष्टान्त हैं।)