SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 347
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९६ अनुयोगद्वारसूत्र गौतम! गर्भव्युत्क्रान्तिकभुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की औधिक जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है। ___अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकभुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की होती है। पर्याप्तक गर्भजभुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून करोड़ पूर्व वर्ष प्रमाण है। विवेचन— यहां पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक के दूसरे भेद स्थलचर के चतुष्पद उरपरिसर्प और भुजपरिसर्प इन तीन प्रकारों की प्रभेदों सहित जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का प्रमाण बतलाया है। सामान्य से सभी की जघन्य स्थिति और अपर्याप्तकों की उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण ही है। लेकिन उत्कृष्ट स्थिति के प्रमाण में अंतर है। जिसका स्पष्टीकरण इस प्रकार है___गाय, भैंस आदि चार पैर वाले तिर्यंच चतुष्पदपंचेन्द्रियतिर्यंच, पेट के सहारे रेंगने वाले–चलने वाले सर्प आदि जीव उरपरिसर्प और पैरों के सहारे रेंगने वाले नेवला आदि जीव भुजपरिसर्प कहलाते हैं। सामान्य से तो पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम है, जो भोगभूमिजों की अपेक्षा समझना चाहिए। सम्मूछिम स्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचों की उत्कृष्ट स्थिति सामान्य से चौरासी हजार वर्ष और गर्भज चतुष्पदों की तीन पल्योपम की है। पर्याप्तक सम्मूछिम स्थलचरों की अन्तर्मुहूर्त न्यून चौरासी हजार वर्ष तथा गर्भजों की अन्तर्मुहूर्त न्यून तीन पल्योपम प्रमाण है। क्योंकि अपर्याप्तकाल अन्तर्मुहूर्त से अधिक नहीं हैं। इसीलिए उसको कम करने का संकेत किया है। स्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचों के दूसरे भेद उरपरिसॉं की सामान्य से उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण है। सम्मूछिम की उत्कृष्ट स्थिति त्रेपन हजार वर्ष और गर्भज की पूर्वकोटि वर्ष है। किन्तु पर्याप्त की अपेक्षा सम्मूछिम की अन्तर्मुहूर्तन्यून त्रेपन हजार वर्ष और गर्भज की अन्तर्मुहूर्त न्यून पूर्वकोटि वर्ष जानना चाहिए। __ स्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचों के तीसरे भेद भुजपरिसों की उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि वर्ष तथा समूच्छिमों की बयालीस हजार वर्ष और गर्भजों की पूर्वकोटि वर्ष है। पर्याप्त की अपेक्षा सम्मूछिमों की अन्तर्मुहूर्त न्यून बयालीस (४२) हजार वर्ष तथा गर्भजों की अन्तर्मुहूर्त न्यून पूर्वकोटि वर्ष है। यहां सामान्य से तथा पृथक्-पृथक् भेदों की अपेक्षा जो जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का प्रमाण बताया है, उसमें जघन्य से ऊपर और उत्कृष्ट काल से न्यून सभी स्थितियां मध्यम स्थितियां कहलाती हैं। जिनके अनेक भेद होते हैं। खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचों की स्थिति (४) खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पन्नता ? गो० ! जह० अंतो० उक्को० पलिओवमस्स असंखेजइभागं । • सम्मुच्छिमखहयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० बावत्तरि वाससहस्साइं । अपजत्तयसम्मुच्छिमखहयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतो० ।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy