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नन्दीसूत्र-प्रथम संस्करण प्रकाशन के विशिष्ट अर्थसहयोगी
श्रीमान् सेठ एस. रतनचन्दजी चोरडिया, मद्रास
[जीवन परिचय]
आपका जन्म मारवाड़ के नागौर जिले के नोखा (चांदावतों का) ग्राम में दिनांक २० दिसम्बर १९२० । ई. को स्व. श्रीमान् सिमरथमलजी चोरड़िया की धर्मपत्नी स्वर्गीया श्रीमती गटूबाई की कुक्षि से हुआ। आपका बचपन गाँव में ही बीता। प्रारम्भिक शिक्षा आगरा में सम्पन्न हुई। यहीं पर चौदह वर्ष की अल्पायु में ही आपने अपना स्वतन्त्र व्यवसाय प्रारम्भ किया। निरन्तर अथक परिश्रम करते हुए पन्द्रह वर्ष तक आढ़त के व्यवसाय में सफलता प्राप्त की।
सन् १९५० के मध्य आपने दक्षिण भारत के प्रमुख व्यवसाय के केन्द्र मद्रास में फाइनेन्स का कार्य शुरु किया जो आज सफलता की ऊँचाइयों को छू रहा है, जिसमें प्रमुख योगदान आपके होनहार सुपुत्र श्री प्रसन्नचन्दजी, श्री पदमचन्दजी, श्री प्रेमचन्दजी, श्री धर्मचन्दजी का भी रहा है। वे कुशल व्यवसायी हैं तथा आपके आज्ञाकारी हैं।
आपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर अपना ध्यान समाज-हित में व धार्मिक कार्यों की ओर भी लगाया है। उपार्जित धन का सदुपयोग भी शुभ कार्यों में हमेशा करते रहते हैं। उसमें आपके सम्पूर्ण परिवार का सहयोग रहता है। मद्रास के जैनसमाज के ही नहीं अन्य समाजों के कार्यों में भी आपका सहयोग सदैव रहता है।
आप मद्रास की जैन समाज की प्रत्येक प्रमुख संस्था से किसी न किसी रूप में सम्बन्धित हैं। उनमें से कुछेक ये हैंभू.पू. कोषाध्यक्ष श्री एस.एस. जैन एज्युकेशनल सोसायटी
(इस पद पर सात वर्ष तक रहे हैं) अध्यक्ष–(उत्तराञ्चल)-श्री राजस्थानी एसोसिएशन, कोषाध्यक्ष श्री राजस्थानी श्वे. स्था. जैन सेवा संघ, मद्रास
(इस संस्था द्वारा असहाय व असमर्थ जनों को सहायता दी जाती है। होनहार युवकों व
युवतियों को व विद्वानों को सहयोग दिया जाता है।) महास्तम्भ श्री वर्धमान सेवा समिति, नोखा संरक्षक श्री भगवान् महावीर अहिंसा प्रचार संघ ट्रस्टी स्वामीजी श्री हजारीमलजी म. जैन ट्रस्ट, नोखा कार्यकारिणी के सदस्य आनन्द फाउण्डेशन भू.पू. महामंत्री श्री वैंकटेश आयुर्वेदिक ओषधालय-मद्रास,
(यहाँ सैंकड़ों रोगी प्रतिदिन उपचारार्थ आते हैं)