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________________ तेईसवाँ अध्ययन : केशी-गौतमीय ३६३ [८] (उन्होंने भी) उस नगर के परिसर (बाह्यप्रदेश) में कोष्ठक नामक उद्यान में जहाँ प्रासुक शय्या (आवासस्थान) और संस्तारक सुलभ थे, वहाँ निवास किया (ठहर गए)। विवेचन—गोयमे भगवान् महावीरस्वामी के पट्टशिष्य प्रथम गणधर इन्द्रभूति थे। ये गौतमगोत्रीय थे। आगमों में यत्र-तत्र 'गौतम' नाम से ही इनका उल्लेख हुआ है, जैनजगत् में ये 'गौतमस्वामी' नाम से विख्यात हैं। कोट्ठगं : कुट्ठगं -- बृहद्वृत्तिकार के अनुसार 'क्रोष्टुक' रूप है और अन्य टीकाओं में 'कोष्ठक' रूप मिलता है। केशी कुमार श्रमण और गौतम गणधर दोनों अपने-अपने शिष्यसमुदाय सहित श्रावस्ती नगरी के निकटस्थ बाह्यप्रदेश में ठहरे थे। आवास अलग-अलग उद्यानों में था। केशी कुमार श्रमण का आवास था - तिन्दुक उद्यान में और गौतमस्वामी का था—कोष्ठक उद्यान में । सम्भव है, दोनों उद्यान पास-पास ही हों। दोनों के शिष्यसंघों में धर्मविषयक अन्तर-संबंधी शंकाएँ ९. केसी कुमार—समणे गोयमे य महासये। उभओ वि तत्थ विहरिंसु अल्लीणा सुसमाहिया॥ [९] केशी कुमार श्रमण और महायशस्वी गौतम, दोनों ही वहाँ (श्रावस्ती में) विचरते थे। दोनों ही आलीन (आत्मलीन) और सुसमाहित (सम्यक् समाधि से युक्त) थे। १०. उभओ सीससंघाणं संजयाणं तवस्सिणं। तत्थ चिन्ता समुप्पना गुणवन्ताण ताइणं॥ [१०] उस श्रावस्ती में संयमी, तपस्वी, गुणवान् (ज्ञान-दर्शन-चारित्रगुणसम्पन्न) और षट्काय के संरक्षक (वायी) उन दोनों (केशी कुमारश्रमण तथा गौतम) के शिष्य संघों में यह चिन्तन उत्पन्न हुआ ११. केरिसो वा इमो धम्मो? इमो धम्मो व केरिसो?। आयारधम्मपणिही इमा वा सा व केरिसी?॥ [११] (हमारे द्वारा पाला जाने वाला) यह (महाव्रतरूप) धर्म कैसा है? (और इनके द्वारा पालित) यह (महाव्रतरूप) धर्म कैसा है? आचारधर्म की प्रणिधि (व्यवस्था) यह (हमारी) कैसी है? और (उनकी) कैसी है? १२. चाउज्जामो य जो धम्मो जो इमो पंचसिक्खिओ। देसिओ वद्धमाणेण पासेण य महामुणी॥ __ [१२] यह चातुर्यामधर्म है, जो महामुनि पार्श्व द्वारा प्रतिपादित है और यह पंचशिक्षात्मक धर्म है, जिसका प्रतिपादन महामुनि वर्द्धमान ने किया है। १३. अचेलगोज यो धम्मो जो इमो सन्तरुत्तरो। एगकज्ज -पवन्नाणं विसेसे किं नु कारणं?॥ १. उत्तरा. बृहद्वृत्ति, पत्र ४९९ २. (क) क्रोष्टुकं नाम उद्यानम्, (ख) कोष्ठकं नाम उद्यानं। - उत्तरा. (विवेचन: मुनि नथमल) भा. १, पृ. ३०३, बृ. वृत्ति, पत्र ४९९
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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