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________________ ३१६ उत्तराध्ययनसूत्र ४. तत्थ सो पासई साहुं संजयं सुसमाहियं। निसन्नं रुक्खमूलम्मि सुकुमालं सुहोइयं॥ [४] वहाँ (उद्यान में) मगधनरेश ने वृक्ष के नीचे बैठे हुए एक संयत, समाधि-युक्त, सुकुमार एवं सुखोचित (सुखोपभोग के योग्य) मुनि को देखा। ५. तस्स रूवं तु पासित्ता राइणो तम्मि संजए। अच्चन्तपरमो आसी अउलो रूपविम्हओ॥ [५] उम (साधु) के रूप को देखकर राजा श्रेणिक को उन संयमी के प्रति अत्यन्त अतुल्य विस्मय हुआ। ६. अहो! वण्णो अहो! रूवं अहो! अजस्स सोमया। अहो! खंती अहो ! मुत्ती अहो! भोगे असंगया॥ [६] (राजा सोचने लगा) अहो, कैसा वर्ण (रंग) है! अहो, क्या रूप है! अहो, आर्य का कैसा सौम्यभाव है ! अहो कितनी क्षमा (क्षान्ति) है और कितनी निर्लोभता (मुक्ति) है! अहो, भोगों के प्रति इनकी कैसी नि:संगता है। ७. तस्स पाए उ वन्दित्ता काऊण य पयाहिणं। नाइदूरमणासन्ने पंजली पडिपुच्छई॥ [७] उन मुनि के चरणों में वन्दना और प्रदक्षिणा करने के पश्चात् राजा, न अत्यन्त दूर और न अत्यन्त समीप (अर्थात् योग्य स्थान में खड़ा रहा और) करबद्ध होकर पूछने लगा - ८. तरुणोसि अज! पव्वइओ भोगकालम्मि संजया। उवढिओ सि सामण्णे एयमझें सुणेमि ता॥ [८.] हे आर्य ! आप अभी युवा हैं, फिर भी हे संयत! आप भोगकाल में दीक्षित हो गए हैं! श्रमणधर्म (पालन) के लिए उद्यत हुए हैं; इसका कारण मैं सुनना चाहता हूँ। विवेचन–पभूयरयणो -(१) मरकत आदि प्रचुर रत्नों का स्वामी, अथवा (२) प्रवर हाथी, घोड़ा, आदि के रूप में जिसके पास प्रचुर रत्न हों, वह। १ विहारजत्तं निजाओ : तात्पर्य—विहारयात्रा अर्थात् क्रीडार्थ भ्रमण—सैर सपाटे के लिए नगर से निकला।२ ___ साहुं संजयं सुसमाहियं -यद्यपि यहाँ 'साधु' शब्द कहने से ही अर्थबोध हो जाता, फिर भी उसके दो अतिरिक्त विशेषण प्रयुक्त किये गए हैं, वे सकारण है, क्योंकि शिष्ट पुरुष को भी साधु कहा जाता है, अतः भ्रान्ति का निराकरण करने के लिए 'संयत' (संयमी) शब्द का प्रयोग किया; किन्तु निह्नव आदि भी १. प्रभूतानि रत्नानि -मरकतादीनि, प्रवरगजाश्वादिरूपाणि वा यस्याऽसौ प्रभूतरत्नः। -बृहद्वृत्ति, पत्र ४७२ २. वही, पत्र ४७२
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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