________________
इस ग्रन्थ के प्रकाशन में अर्थसहयोगी
श्रीमान् सेठ जी. सायरमलजी चोरडिया
(जीवन-रेखा)
मरुधरा के नोखा चांदावता निवासी समाजरत्न स्वर्गीय श्री गणेशमलजी चोरडिया की यावजीवन धर्म एवं समाज के प्रति अटूट श्रद्धा व भावना रही।
आपका विवाह स्व. श्रीमती सुन्दरकुंवरजी से हुआ। श्रीमती सुन्दरकुंवरजी भी अपने पति की भांति धर्म और समाज के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखने वाली धर्मपरायणा स्त्रीरत्न थीं।
श्री गणेशमलजी सा. तथा श्रीमती सुन्दरकुंवरजी के ग्यारह सन्तानें हुईं जिनमें एक कन्या तथा दस पुत्र हैं। आपके होनहार सुपुत्र श्री सायरमलजी चोरड़िया मद्रास महानगर की विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी प्रखरता, सरलता, समाज के प्रति वात्सल्य श्रद्धा एवं दान प्रवृत्ति जग-जाहिर है। स्व. युवाचार्य पं.र. मुनि श्री मिश्रीमलजी म.सा. 'मधुकर' के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा समाज के लिए अनुकरणीय गुरुभक्ति की परिचायक है। विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को मुक्तहस्त से दिया गया आर्थिक सहयोग समाज के प्रति वात्सल्य भावना को उजागर करता है। आपकी समाज-सेवा, संघ-सेवा जन-सेवा एवं जन-कल्याण की भावना स्तुत्य एवं समाज के प्रत्येक सदस्य के लिए अनुकरणीय है।
___ आपके पारिवारिक सदस्यों ने प्रस्तुत आगम के प्रकाशन में विशिष्ट सहयोग प्रदान किया है।
आपकी धर्मभावना दिनोदिन वृद्धिंगत हो, ऐसी मंगलकामना है।