SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दश अध्ययनों में प्रतिपाद्य विषय- प्रस्तुत दशवकालिक में १० अध्ययन हैं। इसके अन्त में दो चूलिकाएँ हैं। दश अध्ययनों में (१) प्रथम अध्ययन में धर्म की प्रशंसा, फल और भ्रमर के साथ भिक्षाजीवी साधु की सुन्दर तुलना की गई है। (२) द्वितीय अध्ययन में कामविजय के सन्दर्भ में राजीमती और रथनेमि का संवाद लेकर श्रमणजीवन में धीरता और स्थिरता का उपदेश दिया गया है। (३) तृतीय अध्ययन में साधुजीवन की आचारसंहिता बताई गई है। (४) चतुर्थ अध्ययन में षट्जीवनिकाय की रक्षा, पंचमहाव्रतप्रतिज्ञाविधि तथा सम्यग्दर्शनादि रत्नत्रय से आत्मा के पूर्ण विकासक्रम का वर्णन है। (५) पंचम अध्ययन में शुद्ध भिक्षाचर्या के विधिविधानों का निरूपण है। (६) छठे अध्ययन में अठारह स्थानों का निरूपण साध्वाचार के सन्दर्भ में किया गया है। (७) सातवें अध्ययन में भाषा-विवेक का प्रतिपादन है। (८) आठवें अध्ययन में विविध पहलुओं से साध्वाचार का प्रतिपादन है। (९) नौवें अध्ययन के चारों उद्देशकों में विनय के महत्त्व एवं फल आदि का सांगोपांग वर्णन है। (१०) दशवें अध्ययन में आदर्श भावभिक्षु के लक्षण बताए गए हैं। इसके पश्चात् प्रथम रतिवाक्यचूलिका में बाह्य तथा आन्तरिक कठिनाइयों के कारण संयमी जीवन छोड़ कर गृहस्थ हो जाने वाले साधु की अधम एवं क्लिष्ट मनोदशा का वर्णन है। द्वितीय विविक्तचर्या चूलिका में साधुत्व की विविध साधनाओं के विषय में सुन्दर मार्गदर्शन दिया गया है। 00 ९. (क) दशवै. (संतबालजी) प्रस्तावना, पृ. २५-२६ (ख) दशवै. (आचार्य श्री आत्मारामजी) प्रस्तावना, पृ.८
SR No.003465
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages535
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_dashvaikalik
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy