________________
नवम अध्ययन : विनयसमाधि
३३९
रयमलं रजोमलं—आश्रवकाल में कर्म 'रज' कहलाता है और बद्ध, स्पृष्ट और निकाचित काल में 'मल' कहलाता
॥ नवम अध्ययन : विनय-समाधि : तृतीय उद्देशक समाप्त ॥
५. (क) 'परिचर्य'—विधिना आराध्य । अभिगमकुशलो'–लोकप्राघूर्णकादिप्रतिपत्तिदक्षः ।
-हारि. वृत्ति, पत्र २५५ (ख) जधा जोगं सुस्सूसिऊण पडियरिय । आश्रवकाले रयो, बद्ध-पुट्ठ-निकाइयं कम्मं मलो ।
-अगस्त्यचूर्णि (ग) जिणोवइट्रेण विणएण आराहेऊण । अभिगमो नाम साधूणमायरियाणं जा विणयपडिवत्ती सो अभिगमो भण्णइ, तमि कुसले ।
-जिनदासचूर्णि, पृ. ३२४