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दशवैकालिकसूत्र १५९. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ७७॥ १६०. +असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
अगणिम्मि होज निक्खित्तं, तं च उस्सक्किया दए ॥ ७८॥ १६१. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
देतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ७९॥ १६२. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
अगणिम्मि होज निक्खित्तं, तं च ओसक्किया दए ॥ ८०॥ १६३. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८१॥ १६४. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं च उजालिया दए ॥ ८२॥ १६५. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८३॥ . १६६. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं च पज्जालिया दए ॥ ८४॥ १६७. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥८५॥ १६८. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं चx निव्वाविया दए ॥८६॥ १६९. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
बेतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८७॥ १७०. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
अगणिम्मि होज निक्खित्तं, तं च उस्सिंचिया दए ॥८८॥ १७१. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं ।
बेतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८९॥ १७२. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा ।
____ अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं च निस्सिंचिया+दए ॥ ९०॥ पाठान्तर–x विज्झाविया । + उक्कड्ढिया