SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 257
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७४ दशवैकालिकसूत्र १५९. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ७७॥ १६०. +असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । अगणिम्मि होज निक्खित्तं, तं च उस्सक्किया दए ॥ ७८॥ १६१. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ७९॥ १६२. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । अगणिम्मि होज निक्खित्तं, तं च ओसक्किया दए ॥ ८०॥ १६३. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८१॥ १६४. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं च उजालिया दए ॥ ८२॥ १६५. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८३॥ . १६६. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं च पज्जालिया दए ॥ ८४॥ १६७. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥८५॥ १६८. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं चx निव्वाविया दए ॥८६॥ १६९. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । बेतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८७॥ १७०. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । अगणिम्मि होज निक्खित्तं, तं च उस्सिंचिया दए ॥८८॥ १७१. तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पियं । बेतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥ ८९॥ १७२. असणं पाणगं वा वि खाइमं साइमं तहा । ____ अगणिम्मि होज निक्खित्तं तं च निस्सिंचिया+दए ॥ ९०॥ पाठान्तर–x विज्झाविया । + उक्कड्ढिया
SR No.003465
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages535
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_dashvaikalik
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy