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________________ आठवां उद्देशक ] सूत्र में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ (१) गाहा - गृह, मकान, उपाश्रय । (२) उऊ - हेमन्त - ग्रीष्म ऋतु । (३) पज्जोसविए - गृह या उपाश्रय में पहुँचा हुआ या ठहरा हुआ भिक्षु । (४) ताए गाहाए - उस घर में । (५) ताए पएसाए - उस घर के एक विभाग - कमरे आदि में । (६) ताए उवासंतराए - उस कमरे आदि की अमुक सीमित जगह में । [ ४०५ शय्यासंस्तारक के लाने की विधि २. से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेण हत्थेण ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहुं वा, तियाहं वा परिवहित्तए, 'ए मे हेमन्त - गिम्हासु भविस्सइ । ' ३. . से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, 'एस मे वासावासासु भविस्सइ ।' ४. से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाएगाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा, चउयाहं वा, पंचाहं वा, दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए, 'एस मे वुड्ढावासासु भविस्सइ । ' २. श्रमण यथासम्भव हल्के शय्या - संस्तारक का अन्वेषण करे, वह इतना हल्का हो कि उसे एक हाथ से ग्रहण करके लाया जा सके। ऐसे शख्या- संस्तारक एक, दो या तीन दिन तक उसी बस्ती गवेषणा करके लाया जा सकता है, इस प्रयोजन से कि वह शय्यासंस्तारक मेरे हेमन्त या ग्रीष्म ऋतु में काम आएगा। ३. श्रमण यथासम्भव हल्के शय्या-संस्तारक का अन्वेषण करे, वह इतना हल्का हो कि उसे एक हाथ से ग्रहण करके लाया जा सके। ऐसा शय्या - संस्तारक एक दो या तीन दिन तक उसी बस्ती से या निकट की अन्य बस्ती से गवेषणा करके लाया जा सकता है, इस प्रयोजन से कि - यह शय्यासंस्तारक मेरे वर्षावास में काम आएगा। ४. श्रमण यथासम्भव हल्के शय्या-संस्तारक की याचना करे, वह इतना हल्का हो कि उसे एक हाथ से उठाकर लाया जा सके। ऐसा शय्या - संस्तारक एक, दो, तीन, चार या पांच दिन तक उसी बस्ती से या अन्य दूर की बस्ती से भी गवेषणा करके लाया जा सकता है, इस प्रयोजन से कि यह शय्यासंस्तारक मेरे वृद्धावास में काम आएगा । विवेचन - पूर्व सूत्र में शय्या - संस्तारक शब्द से स्थान ग्रहण करने की विधि कही है और इन सूत्रों में पाट आदि ग्रहण करने का विधान किया है।
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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