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________________ २६२] [व्यवहारसूत्र ११. जे भिक्खू मासियं वा जाव पंचमासियं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएग्जा, अपलिउंचियं आलोएमाणस्स मासियंवा जावपंचमासियं वा, पलिउंचियं आलोएमाणस्स दो मासियं वा जाव छम्मासियं वा। तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते चेव छम्मासा। १२. जे भिक्खू बहुसो वि मासियं वा जाव बहुसो वि पंचमासियं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचियं आलोएमाणस्स मासियं वा जाव पंचमासियं वा, पलिउंचियं आलोएमाणस्स दो मासियं वा जाव छम्मासियं वा। तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते चेव छम्मासा। १३. जे भिक्खू चाउम्मासियं वा, साइरेग-चाउम्मासियं वा, पंचमासियं वा, साइरेगपंचमासियं वा, एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचियं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं वा साइरेग-चाउम्मासियं वा, पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा, पलिउंचियें आलोएमाणस्स पंचमासियं वा साइरेग पंचमासियं वा छम्मासियं वा। तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते चेव छम्मासा। १४. जे भिक्खू बहुसो वि चाउम्मासियं वा, बहुसो वि साइरेग-चाउम्मासियं वा बहुसो विपंचमासियं वा बहुसो वि साइरेग-पंचमासियं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचियं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं वा, साइरेग-चाउम्मासियं वा, पंचमासियं वा, साइरेग-पंचमासियं वा, पलिउंचियं आलोएमाणस्स पंचमासियं वा, साइरेगपंचमासियं वा छम्मासियं वा। तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते चेव छम्मासा। १५. जे भिक्खू चाउम्मासियं वा, साइरेग-चाउम्मासियं वा, पंचमासियं वा, साइरेगपंचमासियं वा, एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएन्जा अपलिउंचियं आलोएमाणे ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं। ठविए वि पडिसेवित्ता, से विकसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया। १. पुव्विं पडिसेवियं पुट्विं आलोइयं, २. पुब्विं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, ३. पच्छा पडिसेवियं पुट्विं आलोइयं, ४. पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं। १. अपलिउंचिए अपलिउंचियं, २. अपलिउंचिए पलिउंचियं, ३. पलिउंचिए अपलिउंचियं, ४. पलिउंचिए पलिउंचियं। आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय (आरुहेयव्वे सिया)। जे एयाए पट्ठवणाए पट्टविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ, से विकसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया।
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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