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पांचवां उद्देशक ]
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विवेचन - वस्त्रखण्ड या पादप्रोंछन उपकरण पांव की रज आदि पोंछने के काम आता है उसके भिन्न-भिन्न उपयोग आगम में वर्णित हैं। यहां पूर्वोक्त कारणों से काष्ठदण्डयुक्त पादप्रोंछन का साध्वी के लिये निषेध किया गया है और साधु को यदि आवश्यक हो तो वह दण्डयुक्त पादप्रोंछन रख सकता है। इस उपकरण सम्बन्धी अन्य जानकारी निशीथ उ. २ सूत्र १ के विवेचन में दी गई है। परस्पर मोक आदान-प्रदान विधि-निषेध
४५. नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अन्नमन्नस्स मोयं आपिबित्तए वा आयमित्तए वा नन्नत्थ गाढाऽगाढेसु रोगायंकेसु ।
४५. निर्ग्रन्थों और निर्ग्रन्थियों को एक दूसरे का मूत्र पीना या उससे मालिश करना नहीं कल्पता है, केवल उग्र रोग एवं आतंकों में कल्पता है।
विवेचन - यद्यपि मूत्र अपेय है फिर भी वैद्य के कहने पर रक्तविकार, कोढ़ आदि कष्टसाध्य रोगों में अथवा सर्प-दंश या शीघ्र प्राणहरण करने वाले आतंक होने पर साधु और साध्वियों को मूत्र पीने की और शोथ आदि रोग होने पर उससे मालिश करने की छूट प्रस्तुत सूत्र में दी गई है।
अनेक रोगों में गाय, बकरी आदि का तथा अनेक रोगों में स्वयं के मूत्रपान का चिकित्साशास्त्र में विधान किया गया है।
इन कारणों से कभी साधु-साध्वी को परस्पर मूत्र के आदान-प्रदान करने का प्रसंग आ सकता है। इसी अपेक्षा से सूत्र में विधान किया गया है तथा सामान्य स्थिति में परस्पर लेन-देन करने का निषेध भी किया है।
आचमन का अर्थ शुद्धि करना भी होता है किन्तु यहां पर प्रबल रोग सम्बन्धी विधान होने से मालिश करने का अर्थ ही प्रसंगानुकूल है।
आहार - औषध परिवासित रखने के विधि-निषेध
४६. नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पारियासियस्स आहारस्स तयप्पमाणमेत्तमवि, भूइप्पमाणमेत्तमवि, तोयबिंदुप्पमाणमेत्तमवि आहारमाहारेत्तए, नन्नत्थ गाढाऽगाढेसु रोगायंकेसु । ४७. नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पारियासिएणं आलेवणजाएणं गायाई आलिंपित्तए वा विलिंपित्तए वा, नन्नत्थ गाढाऽगाढेहिं रोगायंकेहिं ।
४८. नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पारियासिएणं तेल्लेण वा जाव नवनीएण वा गायाई अब्भंगित्तए वा मक्खित्तए वा, नन्नत्थ गाढाऽगाढेहिं रोगायंकेहिं ।
४६. निर्ग्रन्थों और निर्ग्रन्थियों को परिवासित (रात्रि में रखा हुआ) आहार त्वक् प्रमाण (तिल - तुष जितना ) भूति - प्रमाण (एक चुटकी जितना ) खाना तथा पानी बिन्दुप्रमाण जितना भी पीना नहीं कल्पता है, केवल उग्र रोग एवं आतंक में कल्पता है ।