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________________ २१२] [बृहत्कल्पसूत्र कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। ते य से वियरेन्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जत्थुत्तरियं.धम्मविणयं नो लभेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। २४. गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कम इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। नो से कप्पइ गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। कप्पइ से गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जत्थुत्तरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। २५. आयरिय-उवज्झाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ___नो से कप्पइ आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ से आयरिय-उवझायत्तं निक्खिवित्ताणं अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए।
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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