SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्प वर्गीकरण प्रस्तुत 'कल्पसुत्तं' का मूल पाठ गद्य में है और ४७३ अनुष्टुप श्लोक प्रमाण है। इसमें ८१ विधिनिषेधकल्प हैं। ये सभी कल्प पांच समिति और पांच महाव्रतों से सम्बन्धित हैं । अतः इनका वर्गीकरण यहाँ किया गया है। जिन सूत्रों का एक से अधिक समितियों या एक से अधिक महाव्रतों से सम्बन्ध है, उनका स्थान समिति और महाव्रत के संयुक्त विधि-निषेध और महाव्रतकल्प शीर्षक के अन्तर्गत है । उत्तराध्ययन अ. २४ के अनुसार ईर्यासमिति का विषय बहुत व्यापक है, इसलिए जो सूत्र सामान्यतया ज्ञान, दर्शन या चारित्र आदि से सम्बन्धित प्रतीत हुए हैं उनको 'ईर्यासमिति के विधि-निषेधकल्प' शीर्षक के नीचे स्थान दिया है। वर्गीकरणदर्शक प्रारूप इस प्रकार है (१) ईर्यासमिति के विधि-निषेध कल्प - १. चारसूत्र, २. अध्वगमनसूत्र, ३. आर्यक्षेत्रसूत्र, ४. महानदीसूत्र, ५. वैराज्य–विरुद्धराज्यसूत्र, ६. अन्तगृहस्था, ७. वाचनासूत्र, ८. संज्ञाप्यसूत्र, ९. गणान्तरोपसम्पत्सूत्र, १०. कल्पस्थितिसूत्र। (२) ईयासमिति और परिष्ठापनिकासमिति के संयुक्त विधि-निषेधकल्प - ११. विचारभूमि - विहारभूमिसूत्र । (३) भाषा समिति के विधि-निषेधकल्प - १२. वचनसूत्र, १३. प्रस्तारसूत्र, १४. अन्तरगृहस्थानादिसूत्र । ( ४ ) एषणासमिति के विधि-निषेधकल्प (आहारैषणा ) -- १५. प्रलम्बसूत्र, १६. रात्रिभक्तसूत्र, १७. संखतिसूत्र, १८. सागारिक - पारिहारिकसूत्र, १९. आहृतिका - निहृतिकासूत्र, २०. अंशिकासूत्र, २१. कालक्षेत्रातिक्रान्तसूत्र, २२. कल्पस्थिताकल्पस्थितसूत्र, २३. संस्तृत - निर्विचिकित्ससूत्र, २४. उद्गारसूत्र, २५. आहारविधिसूत्र, २६. परिवासितसूत्र, २७. पुलाकभक्तसूत्र, २८. क्षेत्रावग्रहप्रमाणसूत्र, २९. रोधक (सेना) सूत्र (पाणैषणा ) ३०. पानकविधिसूत्र, ३१. अनेषणीयसूत्र, ३२. मोकसूत्र, (वस्त्रैषणा ) ३३. चिलिमिलिका सूत्र, ३४. रात्रिवस्त्रादिग्रहणसूत्र, ३५. हृताहृतासूत्र, ३६. उपधिसूत्र, ३७. वस्त्रसूत्र, ३८. निश्रासूत्र, ३९. त्रिकृत्स्नचतुःकृत्स्नसूत्र, ४०. समवसरणसूत्र, ४१. यथारत्नाधिक वस्त्रपरिभाजकसूत्र, (वस्त्र - पात्रैषणा ) ४२. अवग्रहसूत्र, ( पात्रैषणा ) ४३. घटीमात्रकसूत्र, (रजोहरणैषणा ) ४४. रजोहरणसूत्र, (चर्मैषणा ) ४५. चर्मसूत्र, ( शय्या - संस्तारकैषणा) ४६. शय्या - संस्तारक सूत्र, ४७. यथारत्नाधिक शय्या - संस्तारक- परिभाजनसूत्र, (स्थानैषणा) ४८. अवग्रहसूत्र, (उपाश्रयैषणा) १ ४९. आपणगृह - रथ्यामुखसूत्र, ५०. चित्रकर्मसूत्र, ५१. सागारिक निश्रासूत्र, ५२. सागारिक उपाश्रयसूत्र, ५३. प्रतिबद्धशय्यासूत्र, ५४. गाथापतिकुलमध्यवाससूत्र, ५५. उपाश्रयसूत्र, ५६. उपाश्रयविधिसूत्र, ( वसतिनिवास ) ५७. मासकल्पसूत्र, ५८. वगडासूत्र, महाव्रतों के अनधिकारी ५९. प्रव्राजनासूत्र (महाव्रत प्ररूपण) ६०. महाव्रतसूत्र, प्रथम महाव्रत के विधिनिषेधकल्प ६१. अधिकरणसूत्र, ६२. व्यवशमनसूत्र, प्रथम और तृतीय महाव्रत के विधिनिषेधकल्प ६३. आवस्थाप्पसूत्र, प्रथम - चतुर्थ महाव्रत के विधिनिषेधकल्प, ६४. दकतीरसूत्र, ६५. अनुद्घातिकसूत्र, चतुर्थमहाव्रत के विधिनिषेधकल्प ६६. उपाश्रय-प्रवेशसूत्र, ६७. अपावृतद्वार उपाश्रयसूत्र, ६८. अवग्रहानन्तक- अवग्रहपट्टकसूत्र, ६९. ब्रह्मापायसूत्र, ७०. ब्रह्मरक्षासूत्र, ७१. पाराञ्चिकसूत्र, ७२. कण्टकादि - उद्धरणसूत्र, ७३. दुर्गसूत्र, ७४. क्षिप्तचित्तादिसूत्र, १. उपाश्रय विधि - निषेध -कल्प के जितने सूत्र हैं वे प्रायः चतुर्थ महाव्रत के विधि-निषेध-कल्प भी हैं। १५
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy