SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वर्ग ३: प्रथम अध्ययन ] [ ५५ चन्द्र का भावी जन्म ६. 'चन्दस्स णं भन्ते, जोइसिन्दस्स जोइसरनो केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?' गोयमा! पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं। एवं खलु गोयमा, चन्दस्स जाव जोइसरन्नो सा दिव्वा देविड्ढी। चन्दे णं भन्ते! जोइसिन्दे जोइसराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ २.? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ। ६. भगवान् गौतम ने श्रमण भगवान् महावीर से पूछा – भदन्त! ज्योतिषकेन्द्र ज्योतिष्कराज चन्द्र की कितने काल की आयु - स्थिति है ? भगवान् ने उत्तर दिया - गौतम! एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की स्थिति कही है। इस प्रकार से हे गौतम! उस ज्योतिष्कराज चन्द्र ने वह दिव्य देव-ऋद्धि प्राप्त की है। ७. निक्खेओ - तं एवं खलु जम्बू! समणेणं जाव संपत्तेण पुष्फियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमी। ॥ प्रथम अध्ययन समाप्त। ७. आयुष्मन् जम्बू! इस प्रकार से यावत् मोक्ष प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने पुष्पिका के प्रथम अध्ययन का यह भाव निरूपण किया है, ऐसा मैं कहता हूँ। ॥ प्रथम अध्ययन समाप्त॥ 00
SR No.003461
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy